आज है जो मंजर वो कल ना होंगे
इस तरह तेरे हाथ में सब ना होंगे,
मत अकड़ वक़्त के आने पे तू
ये वक़्त के पाहिए भी कुछ वक़्त के होंगे,
आँधियों को भी गुरुर था अपनी ताकत पर
मगर बादलों के नखरें कुछ देर के थे,
ये दुनिया, ये ताकत तो सिकंदर की ना हुई
बादशाह है तू भी वक़्त का मालिक तो नहीं,
सभलने के लिए ज़िन्दगी एक ही है
वक़्त किसी के वष में तो नहीं,
चिरागे मोहब्बत है रोशनी ज़िन्दगी की
किसी की खुशियाँ किसी के वष में तो नहीं
आज जो मंजर है वो कल तो ना होंगे
इस तरह तेरे हाथ में सब तो ना होंगे!!
-सलीम राव