मुजफ्फरनगर.
आए दिन कलयुगी पुत्रों द्वारा अपने मां-बाप के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं, इस कलयुग में आज भी श्रवण कुमार जीवित हैं, जो अपने बुजुर्गों की मनोकाम ना पूरी करने के लिए कांवड़ में बैठाकर तीर्थस्थलों की यात्रा कराते हुए हरिद्वार से गंगा जल उठाकर अपने गतंव्य की और बढ़ रहा है। ये कलयुग का श्रवण कुमार जो आज त्रेता युग के उस श्रवण कुमार की याद ताजा कर रहे है, जो अपने अंधे माता-पिता की आखों का तारा था। कौन सोच सकता है कि इस कलयुग में श्रवण कुमार जैसे पुत्र भी पैदा हो सकते है, जो अपने माता – पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दोनों को टोकरी में बैठाकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचा है।
दरअसल, दो शिव भक्त के माता – पिता की इच्छा थी कि वह भी हरिद्वार की यात्रा कर पवित्र गंगाजल लेकर भगवानश शिव का जलाभिषेक करें। अपने माता – पिता की इच्छा पूरी करने के लिए श्रवण बने दोनों भाईयो ने अपने माता ओर पिता दोनों को टोकरी में बिठाकर उनकी मनोकमना पूरी करने में लगा है।
इस नजारे को देखने के लिए लोगों का तांता लगा है। ये नजारा श्रवण कुमार की याद दिला रहा है। आज भले ही बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान रख पाने में पिछड़ रहे हों, लेकिन कलयुग के इन श्रवण का अपने माता पिता के प्रति ये भाव देखकर उन बच्चों के लिए ये संजीवनी का काम करेगा, जो अपने माता-पिता के प्रति अपने आदर्शों को भूलकर आधुनिक युग में जी रहे हैं।
दोनों भाइयों ने बताया कि वे इस कावड़ को दूसरी बार ला रहे है और पानीपत जाएंगे।।।
बाइट,,,,,कावड़िया