कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और उन्होंने अपना इस्तीफा राहुल गांधी को भेजा है। और दोपहर करीब डेढ़ बजे वह शिवसेना में शामिल हो गई। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली। कांग्रेस की धुर विरोधी भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने आत्मसम्मान के लिए पार्टी छोड़ी। टिकट के सवाल पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भले ही उत्तर प्रदेश के मथुरा से उनका जुड़ाव रहा है और उनके माता-पिता का घर है, लेकिन उन्होंने कभी मथुरा से टिकट नहीं मांगा।
आपको बता दें प्रियंका ने अपना इस्तीफा ट्विटर पर भी पोस्ट करते हुए लिखा था, “बीते तीन दिन में देश भर से मिले प्यार और समर्थन से मैं काफी खुश और शुक्रगुजार हूं और समर्थन के इस सैलाब से मैं खुद को धन्य मानती हूं। इस सफर का हिस्सा बनने के लिए आप सबका शुक्रिया।”
वहीँ प्रियंका ने अपने ट्विटर (BIO) परिचय से ‘एआईसीसी प्रवक्ता’ शब्द भी हटा दिया है। आपको मालूम हो 17 अप्रैल को ही प्रियंका ने पार्टी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए ट्वीट किया था और तभी से आशंका जताई जा रही थी कि प्रियंका इस्तीफा दे सकती हैं।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, काफी दुखी हूं कि अपना खून-पसीना बहाने वालों से ज्यादा गुंडों को कांग्रेस में तरजीह मिल रही है और पार्टी के लिए मैंने गालियां और पत्थर खाए हैं, लेकिन उसके बावजूद पार्टी में रहने वाले नेताओं ने ही मुझे धमकियां दीं और जो लोग धमकियां दे रहे थे, वह बच गए हैं। उनका बिना किसी कार्रवाई के बच जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं।”
आपको मालूम हो क्या है पूरा मामला?
इस ट्वीट के साथ एक चिट्ठी भी जुड़ी थी जिसे विजय लक्ष्मी के ट्विटर से जारी किया गया है। दरअसल मामला मथुरा की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस से जुड़ा है, जिसमें प्रियंका ने राफेल के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा था। और आरोप है कि कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनके साथ बदसलूकी की। और इसके बाद कुछ पर कार्रवाई भी हुई थी। क्योंकि चिट्ठी में अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात की गई। लेकिन ये भी लिखा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर ये कार्रवाई रद्द कर दी गई है।