प्यार से राजनीति तक तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के अनसुने किस्से, सबकुछ बस एक क्लिक में,

देश की राजधानी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शीला दीक्षित का निधन हो गया है, आपको मालूम हो वो पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। वह आज सुबह ही एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती हुई थीं और सुबह उन्हें उल्टी हुई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एस्कॉर्ट्स अस्पताल के डॉक्टर अशोक सेठ के अनुसार, दोपहर 3.15 बजे शीला दीक्षित को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया और 3.55 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली और
आज शाम 6 बजे से निजामुद्दीन स्थित घर पर पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन हुए। कल दोपहर ढाई बजे निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जायेगा। 

शीला दीक्षित कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेताओं में से एक थीं और 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही थीं। वह लगातार तीन बार कांग्रेस सरकार में दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली की विधानसभा में वह नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी करती थीं।

कपूरथला में हुआ था शीला दीक्षित का जन्म

शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था और उन्होंने दिल्ली के जीसस-GS एंड मेरी कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षा पाई और दिल्ली ‘विश्वविद्यालय के “मिरांडा हाउस” से इतिहास में “मास्टर डिग्री” हासिल की थी।

उनका विवाह उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (आईएएस-IAS) विनोद दीक्षित से हुआ था। विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे और शीला दीक्षित के दो संताने हैं जिनमें से उनके पुत्र संदीप दीक्षित भी सांसद रह चुके हैं।

दिल्ली पूर्व CM शीला दीक्षित के अनसुने किस्से

शीला दीक्षित को कॉलेज के जमाने में विनोद दीक्षित से प्यार हुआ, और बाद में जो शादी तक पहुंचा। विनोद दीक्षित एक आईएएस IAS अफसर रहे। शीला दीक्षित के बेटे भी संदीप दीक्षित किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं क्योंकि वो कांग्रेस से सांसद रहे हैं। शीला दीक्षित का ससुराल यूपी में है और इसके ही मद्देनजर कांग्रेस ने उन्हें अपना सीएम-CM कैंडिडेट बनाया। शीला का ससुराली संबंध यूपी में बड़े कांग्रेसी नेता उमाशंकर दीक्षित के परिवार से है और उमाशंकर दीक्षित केंद्रीय मंत्री के साथ साथ राज्यपाल भी रहे हैं।

आपको बता दें लोकसभा चुनाव के दौरान’ उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था और कुछ समय के लिए वह केरल की राज्यपाल भी रहीं थी, 

राजनीति में आने से पहले, वे कई संगठनों से जुड़ी रही और उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए दिल्ली में दो हॉस्टल भी बनवाए थे और 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उत्तरप्रदेश) से सांसद भी रहीं। इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं, वे बाद में केंद्रीय मंत्री भी रहीं और साथ ही वे दिल्ली शहर की महापौर से लेकर ‘मुख्यमंत्री’ भी रहीं।

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