क्या इस मास्टर प्लान से सच में बना पायेगी कांग्रेस सरकार, आखिर क्यों पहले ही कार्यकर्ताओं में है ख़ुशी की लहर

लोकसभा चुनाव के लिए दो महीने से जारी प्रसार-प्रसार शुक्रवार को पूर्ण रूप से थम गया था और आज 19 मई को आखिरी चरण का मतदान भी शाम तक ख़त्म हो जायेगा, इन सबके बाद अब २३ मई को चुनाव के नतीजों की घोषणा की जानी है, लेकिन नतीजे आने से पहले ही कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए मास्टर प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है और कांग्रेस ने केंद्र में सत्ता हासिल करने के लिए तोड़-जोड़ शुरू कर दी है.

इस प्लान में कई बड़े किरदार भी शामिल हैं, कोई राजा, कोई रानी, कई मोहरे है त कई प्यादे का रोल निभा रहे है और सभी का मिशन सिर्फ एक ही है कि, अगर भाजपा बहुमत तक नहीं पहुंचती है तो, कांग्रेस किसी तरह से सभी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने का आंकड़ा छू सके।

आपको बता दें इस प्लान पर पिछले केई दिनों से सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के कई दिग्गजों ने काम करना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि, वो सोनिया गांधी ही थी, जिनकी वजह से 2004 में कांग्रेस ने मात्र 145 सीट होने के बाद भी मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बना ली थी।

और कांग्रेस का यह इतिहास रहा है कि, जब भी वह 100 का आकंडा पार करती है तो कांग्रेस सरकार बनाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर देती है, और इसमें कांग्रेस का कोई मुकाबला भी नहीं है, सोनिया गांधी और उनकी टीम एक बार भी सक्रिय हो चुकी है, दरअसल ऐसी कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो सीधे राहुल गांधी से संवाद करने में असहज होंगी। इसलिए खुद सोनिया गांधी रणनीतिक तौर पर एक बार फिर आगे आ गई है और कांग्रेस 23 मई के नतीजे से पहले ही पूरी तैयारी कर रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही पार्टियां से सोनिया गांधी सीधे तौर पर बात कर रही है।

और इसके आलावा ऐसी पार्टियां जो ना तो UPA और ना NDA का हिस्सा हैं, सोनिया गांधी का उन से भी संपर्क साधा जा रहा है, मिली जानकारी के अनुसार, सोनिया ने अखिलेश और मायावती दोनों से भी फ़ोन पर बातचीत करके 23 मई के नतीजे के बाद किस तरह आगे बढ़ा जाए इसकी रणनीति पर चर्चा की।

वहीँ कांग्रेस के इस मिशन को हकीकत में बदलने के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद व कांग्रेस के संगठन महासचिव और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसे लेकर सक्रीय हो चुके है और इस माना जा रहा है कि, इन दोनों नेताओं पर साउथ भारत के बड़े स्टेक होल्डर YSR और TRS को यूपीए में शामिल करने का जिम्मा भी सौंपा जा सकता है।

इसके आलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से तालमेल बैठाने और मोदी के खिलाफ इस महागठबंधन कुनबे में जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही इसी के चलते कमलनाथ ने कुछ दिन पहले नवीन पटनायक से फ़ोन पर बात भी की थी, दरअसल आपको मालूम हो कमलनाथ और पटनायक अच्छे दोस्त भी है.

वहीं सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को गठबंधन की सरकार बनाने को लेकर रणनीतिक तैयारी करने की जिम्मेदारी सौंपी हैं.

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