गन्ने के पेमेंट को लेकर किसान बैठते हैं धरने पर आखिर क्यों


इंडिया प्लस न्यूज़ सोनू कुमार कश्यप उत्तराखंड उत्तर प्रदेश
बात यूपी की हाे या उत्तराखंड की कहीं का भी हो किसान रहता है परेशान ।
आखिर कब तक किसान आत्महत्या करता रहेगा कब तक किसान गन्ना मील के फैक्ट्री के चक्कर काटता रहेगा ,अपने पेमेंट को लेकर कब तक मिलेगा उसको अपना । हकएक किसान कैसे चलता है अपनी रोजी रोटी पूरे साल खेत में मेहनत करता है ,फिर अपने गन्ने को उधार में फैक्ट्रियों के यहां छोड़ देता है पता नहीं कितने सालों बाद होता है उसकी फसल का भुगतान आखिर कैसे अपने घर की रोजी रोटी चलाता है ।कहने को तो देश आजाद है लेकिन किसान गुलाम क्यों है ,जो अपनी ही कमाई हुई मेहनत को समय़ पर प्राप्त भी नही कर पाता ।पर सवाल तो बहुत उठते हैं लेकिन जवाब कोई नहीं देता अब इससे ज्यादा क्या कहूँ सोचना तो सरकार को चाहिए ।कब तक एक किसान धरने पर बैठेगा । हर साल यही बखेड़ा खड़ा हो जाता है कि फसल कटी गन्ने का भुगतान नहीं हुआ अब इसमें किसान छोटा हो या बड़ा पीस तो दोनों ही रहे हैं। चाहे और सब्जी उगाने वाला किसान हो जिसको अपने सब्जी के सही दाम नहीं मिल पाते वो भी परेशान रहता है। अगर आप दिल्ली से हरिद्वार की ओर सफर करते हैं तो बीच में गुरुकुल नारसन एक जगह पड़ती है जहां पर लिप लिब्बरहेड़ी गांव में उत्तम शुगर मील है । अक्सर आपको वहां पर किसान यूनियन इस तरह के कुछ लोग धरने पर बैठे दिखाई देंगे हमेशा पूरे साल उनका इसी तरह से रहता है ,गन्ने का पेमेंट को लेकर । अभी हमने जो सर्वे किया और सर्वे के अनुसार हमें पता चला कि उत्तम शुगर मील पर लगभग 80 करोड़ रुपए गन्ने का बकाया है किसानों का जो उसको देना है । मील परिसर वालों से बात किया तो उन्होंने भी आनाकानी करके बता दिया कि समय लगेगा देने में । आगे का अपडेट हम आपको लगातार देते रहेंगे
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