नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन को पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि जब विज्ञान, सरकार और समाज मिलकर काम करेंगे तो नतीजे बेहतर आएंगे। उन्होंने कहा कि किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठबंधन देश को नई चुनौतियों से निपटने में मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण नये प्रकार के कीट, नये बीमारियां, महामारियां सामने आ रही हैं, जिससे मानव एवं पशुओं के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है तथा फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। इन पहलुओं पर गहन निरंतर शोध आवश्यक है।प्रधानमंत्री मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण को दूर करने के लिए विशेष गुणों वाली 35 फसलों की किस्में राष्ट्र को समर्पित की। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने इन्हें विकसित किया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान रायपुर के नवनिर्मित परिसर को भी राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवार्ड भी वितरित किया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान कृषि क्षेत्र में नवीन तरीकों का उपयोग करने वाले देश के अलग-अलग हिस्सों के पांच किसानों के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में उच्च गुणवत्ता वाले कृषि डेटा और वास्तविक समय समाधान प्राप्त करने के लिए आधुनिक ड्रोन और सेंसर के उपयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। मोदी ने राज्यों से कहा कि वह भारतीय बाजरा को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ले जाने के लिए टास्क फोर्स गठित करें। उन्होंने कहा कि आजादी के इस अमृत काल में आधुनिक कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को हर गांव तक ले जाने की जरूरत है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि मिडिल स्कूल स्तर तक कृषि से जुड़ी रिसर्च और टेक्नोलॉजी स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बने इसके लिए प्रयास होने चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 6-7 सालों में कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “विशेष रूप से बदलते हुए मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल, अधिक पोषण युक्त बीजों पर हमारा फोकस बहुत अधिक है।” प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के बीच पिछले साल विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर हुए टिड्डियों के हमले को याद किया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस हमले से निपटने के लिए काफी प्रयास किए और किसानों को बहुत अधिक नुकसान होने से बचाया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब भी किसानों और कृषि को सुरक्षा कवच मिलता है तो उनका विकास तेजी से होता है। उन्होंने बताया कि भूमि की सुरक्षा के लिए 11 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने सरकार की किसान हितैषी पहलों को गिनाते हुए कहा कि किसानों को पानी की सुरक्षा प्रदान करने के लिए लगभग 100 लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया गया। किसानों को फसलों को बीमारियों से बचाने और अधिक उपज के लिए नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराए गए। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया गया ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके। रबी सीजन में 430 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद की गई है और किसानों को 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है। महामारी के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों को तीन गुना से अधिक बढ़ाया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को तकनीक से जोड़कर हमने उनके लिए बैंकों से मदद लेना आसान बना दिया है। आज किसानों को मौसम की जानकारी बेहतर तरीके से मिल रही है। हाल ही में 2 करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान को फसल आधारित आय प्रणाली से बाहर निकालने और उन्हें मूल्यवर्धन और खेती के अन्य विकल्पों के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने विज्ञान और अनुसंधान के समाधान के साथ बाजरा और अन्य अनाज को और विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यह है कि इन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय जरूरतों के अनुसार उगाया जा सके। उन्होंने लोगों से कहा कि वे आने वाले वर्ष को बाजरा वर्ष घोषित करने वाले संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रदान किए गए अवसरों का उपयोग करने के लिए तैयार रहें। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी प्राचीन कृषि परंपराओं के साथ-साथ भविष्य की ओर बढ़ना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक और खेती के नए उपकरण भविष्य की खेती के मूल में हैं। उन्होंने कहा, “आधुनिक कृषि मशीनों और उपकरणों को बढ़ावा देने के प्रयास आज परिणाम दिखा रहे हैं।”
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