वाराणसी। नवापुरा औसानगंज स्थित डीएवी इंटर कॉलेज के लिए गुरूवार का दिन खास बन गया। कालेज में छात्रों ने अपने एक अध्यापक साहित्यकार पद्मश्री पंडित हनुमान प्रसाद शर्मा उर्फ मनु शर्मा का जन्मदिवस श्रद्धापूर्वक मनाया और अध्यापकों और कर्मचारियों के साथ उन्हें शिद्दत से याद कर श्रद्धासुमन भी अर्पित किया।
कॉलेज के मैदान में प्राचार्य डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालू गुरू’ की मौजदूगी में साहित्यकार का जन्मदिन मनाने जुटे छात्रों को साहित्यकार के जीवन के बारे में बता कविता भी सुनाई गई। साहित्यकार के पौत्र पार्थ शर्मा और पौत्री ईशानी शर्मा ने उनके पुराने दिनों की कविता ‘घर में मिट्टी का तेल नहीं है। पढ़ना भी अब खेल नहीं है। पर इम्तिहान है, खूब पढ़ो, मन को समझाकर पढ़ो, लालटेन बुझाकर पढ़ो’ को सुनाया। इस दौरान पार्थ शर्मा ने विद्यालय के तीन गरीब छात्रों को 12वीं क्लास तक की शिक्षा नि:शुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा की। साथ ही उनकी किताब, कापी, यूनिफार्म और कोचिंग का खर्चा भी उठाने का संकल्प लिया।
उन्होंने बताया कि ये छात्रवृति ऐसे किसी भी छात्र को मिल सकती है जो अत्यंत मेधावी हो और संसाधन की कमी से जूझ रहा हो। इसके लिए जरूरी आवेदन कॉलेज कमेटी को हर वर्ष उस समय दिए जा सकेंगे। जब इसका एक लाभार्थी 12वीं तक की शिक्षा पूर्ण करने को हो और उसका स्थान रिक्त हो रहा हो। हर ऐसे वर्ष, आगामी वर्ष के लिए दिसम्बर-जनवरी तक ऐसे आवेदनों की सूची बनेगी। इसके लाभार्थी इसी सूची में से चिन्हित किए जाएंगे और 06 से 12वीं कक्षा तक की उनकी शिक्षा पर खर्च की जिम्मेदारी साहित्यकार के परिजन देंगे। इसका सर्टिफिकेट हर साल मनु शर्मा के जन्मदिन 28 अक्टूबर को वितरित होंगे।
जयंती के अवसर पर मनु शर्मा के पुत्र और वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने कहा कि पिताजी के पुण्यों के प्रताप से मदद की इस पहल से गरीब बच्चों मेधा को फलता फूलता देख, उनकी यशकाया अत्यंत प्रसन्न होगी। प्राचार्य डॉ दयाशंकर मिश्र ने कहा कि पद्मश्री पं. मनु शर्मा, प्रख्यात साहित्यकार और चिंतक। जीवन में इतना रचा, इतना दिया, इतना अर्जित किया कि किसी का भी एक जीवन इसके लिए कम पड़ जाए। कॉलेज के प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष हरिवंश सिंह ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बेहद गरीबी में जिए मनु शर्मा ने अपनी पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी।
अध्ययन के लिए उन्होंने फुटपाथ पर फेरी भी लगाई, गमछा भी बेचा। इस विद्यालय में चपरासी बने, फिर लाइब्रेरियन बने और फिर अपनी मेधा से हिंदी के अध्यापक बने। उनके जीवन के संघर्ष को बच्चों को बताया गया। जन्मदिन मनाने में अध्यापक नरेंद्र कुमार सिंह, बचनू राम, जयवंत राय, विवेक सिंह, शिव प्रकाश वर्मा, ध्रुव कुमार शर्मा, राजीव दुबे, प्रमोद कुमार यादव, मनोज कुमार आदि शामिल रहे।