दस्तक अभियान : इस बार फाइलेरिया के मरीजों पर भी रहेगी नजर

नोएडा। दस्तक अभियान के तहत इस बार जिले में फाइलेरिया के मरीजों को खोजने पर भी फोकस किया जाएगा, हालांकि जनपद में इधर कुछ वर्षों में एक भी फाइलेरिया का मरीज नहीं मिला है, लेकिन जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने इस बार फाइलेरिया पर भी फोकस करने के निर्देश दिये हैं । इस बारे में जिलाधिकारी का कहना है कि भले ही जिले के स्थानीय निवासियों में अब तक फाइलेरिया की बीमारी नहीं पायी गयी है, लेकिन दूसरे जिलों से आने वालों में तो यह बीमारी पायी जा सकती है । इसलिए सतर्कता जरूरी है। गौरतलब है कि एक जुलाई से चल रहे विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह के अंतर्गत 12 से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक ओहरी ने बताया- दस्तक अभियान में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता (फ्रंट लाइन वर्कर्स) मुख्य जिम्मेदारी निभाएंगी । दस्तक अभियान संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम का एक घटक है, जिसके अंतर्गत प्रशिक्षित फ्रंट लाइन वर्कर्स घर-घर भ्रमण कर विभिन्न रोगों के नियंत्रण एवं उपचार की जानकारी प्रदान करने के लिए प्रचार प्रसार एवं व्यवहार परिर्वतन गतिविधियां संचालित करेंगे। इसके साथ ही आशा- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस अभियान के अंतर्गत कुपोषित बच्चों तथा विभिन्न रोगों के लक्षण युक्त व्यक्तियों का चिन्हीकरण कर सूचीबद्ध करेंगी। उन्हें मुख्य रूप से पांच बिन्दुओं-बुखार, इंफ्लुएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) टीबी, कुपोषण और दिव्यांगता पर फोकस करना है।
जिला मलेरिया अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया घर-घऱ भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता मुख्य रूप से पांच प्रमुख सवाल करेंगी। यदि किसी भी परिवार में कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित मिलता है तो वह उसकी जानकारी तुरंत स्वास्थ्य विभाग को देंगी। उन्होंने बताया बुखार के साथ कपकंपी अथवा जाड़ा लगता है तो मलेरिया, बुखार के साथ शरीर पर चकत्ते अथवा रक्त स्राव हो तो डेंगू, बुखार के साथ जोड़ों में दर्द हो तो चिकनगुनिया, दो सप्ताह से अधिक की खांसी वजन कम होना, बलगम में खून आ रहा हो तो क्षय रोग हो सकता है। बुखार के हर रोगी की मलेरिया जांच के लिए स्लाइड बनायी जाएगी । यदि जांच में मलेरिया की पुष्टि होती है तो उसका 14 दिन तक पूर्ण उपचार सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने बताया – कुपोषण के मामले बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग और क्षय रोग के मामले जिला क्षय रोग विभाग देखेगा। उन्होंने बताया – इस बार जिलाधिकारी के निर्देश पर फाइलेरिया के संभावित रोगी भी ढूढे जाएंगे। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया फ्रंट लाइन वर्कर्स को निर्देश दिये गये हैं कि अभियान के दौरान पूर्ववर्ती तीन अभियानों की तरह मास्क के प्रयोग, सोशल डिस्टेंसिंग तथा हाथ धोने का ध्यान रखा जाए। गृह भ्रमण के दौरान मकानों के अंदर प्रवेश न किया जाए, परिवार के वयस्क सदस्यों को घर के बाहर बुलाकर सभी सूचनाएं एकत्र की जाएं। उन्होंने बताया दस्तक अभियान में जिले की करीब 735 आशा कार्यकर्ताओं की सेवाएं ली जाएंगी।
गृह भ्रमण के दौरान आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूछेंगी यह सवाल
1-क्या परिवार में किसी सदस्य को बुखार है।
2-परिवार में किसी सदस्य को दो सप्ताह से कम की खांसी-सांस लेने में भी परेशानी हो रही है।
3-परिवार में कोई ऐसा सदस्य तो नहीं है जिसको दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी आ रही हो या वजन कम हो रहा हो या बलगम में खून आ रहा हो (संभावित क्षय रोगी)।
4-क्या परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे फाइलेरिया की बीमारी से विकृति- दिव्यांगता हुई हो।
5-क्या परिवार में किसी बच्चे के स्वास्थ्य का स्तर सामान्य से कम है।
फाइलेरिया
यह बीमारी फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है। यह मच्छर फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं, जिसमें मच्छर एक धागे के समान परजीवी को छोड़ता है। यह परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस बीमारी को हाथी पांव भी कहते हैं।

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