दस्तक पखवाड़ा शुरू, आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर खोजेंगी संभावित क्षय रोगी

नोएडा। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत जनपद में सोमवार से दस्तक पखवाड़ा शुरू हुआ। यह पखवाड़ा 25 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाएंगी और लोगों को रोगों से बचाव के प्रति जागरूक करेंगी। इसके साथ ही लक्षण के आधार पर कोविड, बुखार और टीबी (क्षय रोग) के मरीजों का ढूंढने का काम करेंगी, ताकि समय रहते उनका उपचार शुरू कराया जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. दीपक ओहरी ने बताया संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत चलाए जा रहे दस्तक पखवाड़े में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा घर घर जाकर कोविड, बुखार और टीबी से संबंधित रोगों की जानकारी प्राप्त की जाएगी। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस दौरान लोगों को स्वच्छता और बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक करेंगी।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. शिरीश जैन ने बताया दस्तक पखवाड़े में संभावित टीबी रोगी खोजने में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका होगी। घर-घर जाकर उन्हें कैसे बात करनी है और कैसे लक्षणों की पहचान करनी है, इसके लिए ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
उन्होंने बताया संभावित टीबी रोगियों की खोज करने के लिए वह पता करेंगी कि किसी को दो सप्ताह से अधिक खाँसी या बुखार तो नहीं है। इसके अलावा लगातार वजन घटने और भूख न लगने की शिकायत तो नहीं है। रात में सोते समय पसीना तो नहीं आता है। यदि किसी को इनमें से कोई लक्षण है तो यह टीबी हो सकती है। ऐसे लोगों का स्पुटम (बलगम) लेकर जांच कराई जाएगी। टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल बीमारी का निशुल्क उपचार शुरू कराया जाएगा।
डा. जैन ने बताया आशा कार्यकर्ता को टीबी रोगी खोजने पर 500 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिये जाएंगे। यह राशि जांच के बाद रोग की पुष्टि होने पर मिलेंगे। इसके अलावा टीबी की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को भारत सरकार द्वारा छह माह तक चलने वाले इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रति माह का भुगतान किया जाता है। सरकार यह राशि मरीज के बेहतर पोषण के लिए प्रदान करती है। दरअसल टीबी होने पर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है। ऐसे में बेहतर पोषण जरूरी है। पोषण न मिल पाने पर वह अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ सकता है।
संपर्क में आने वाले लोगों की भी होगी जांच
जिला क्षय रोग अधिकारी ने कहा कि समाज में छिपे हुए टीबी रोगी काफी है। बहुत से लोगों को खुद ही नहीं पता होता कि उन्हें टीबी है। कुछ लोग पता होने के बाद भी इलाज के लिए आगे नहीं आते हैं। ऐसे में दस्तक पखवाड़े के दौरान लक्षणों के आधार पर संभावित क्षय रोगियों की पहचान की जाएगी। जांच के बाद रोग की पुष्टि होने पर टीबी मरीज का उपचार किया जाएगा, साथ ही उसके संपर्क में आने वाले लोगों और परिवार वालों की भी टीबी की जांच की जाएगी। डा. जैन ने कहा कि टीबी का एक मरीज साल भर में 15 से 20 लोगों को टीबी से संक्रमित कर देता है। इसलिए टीबी उन्मूलन के लिए उसकी पहचान होना जरूरी है। उन्होंने बताया साधारण टीबी का मरीज जब 20 -25 दिन दवा खा लेता है तो उससे टीबी का संक्रमण फैलना बंद हो जाता है। इसलिए टीबी के मरीज की पहचान और उपचार जितनी जल्दी हो जाए उतना ही बेहतर है।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने लोगों से अपील की है कि वह दस्तक पखवाड़े के दौरान उनके घर आने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को पूरा सहयोग करें और बीमारी छिपाएं नहीं उसके लक्षण जरूर बताएं।
निशुल्क है टीबी की जांच व उपचार
डा. जैन ने बताया सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पताल में टीबी रोग की जांच व उपचार निशुल्क उपलब्ध है। कोई भी व्यक्ति लक्षण के आधार पर जांच करा सकता है। उन्होंने बताया वर्तमान में जनपद में साधारण टीबी के तीन हजार, एमडीआर टीबी के 173 और एक्सडीआर टीबी के 36 मरीज उपचाराधीन हैं।

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