ध्वनिक न्यूरोमा के उपचार में साइबरनाइफ कारगर


नई दिल्ली: ध्वनिक न्यूरोमा एक ऐसा ट्यूमर होता है जो धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, लेकिन इसमें कैंसर की कोई संभावनाएं नहीं होती हैं। सामान्य रूप से ये मुख्य तंत्रिका पर विकसित होता है जो कान के अंदर की और से होते हुए मस्तिष्क तक जाता है। ध्वनिक न्यूरोमा एक प्रकार की कोशिकाओं के जरिए बनता है जिन्हें क्ष्वान कोशिका के नाम से जाना जाता है। ये कोशिकाएं शरीर की अधिकांश तंत्रिका कोशिकाओं को कवर कर लेती हैं। बढ़ती हुई ये कोशिकाएं सुनने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। ध्वनिक न्यूरोमा के दबाव से बेहरापन, अस्थिरता के अलावा कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
आर्टेमिस अस्पताल में एग्रीम इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोसाइंसेज के निदेशक, डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने बताया कि, “ध्वनिक न्यूरोमा के विकास के कारण की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी “न्यूरोफिब्रोमैटोसिस” ध्वनिक न्यूरोमा से जुड़ी हुई है। यह लगातार हो रहे तेज शोर, चेहरे और गर्दन पर विकरण जैसे कई कारकों के कारण होता है, जो कई सालों बाद न्यूरोमा को जन्म देता है। “न्यूरोफिब्रोमैटोसिस” से ग्रस्त आदमी के मस्तिष्क के पास की रीढ़ की हड्डी के बाहरी हिस्से में ट्यूमर हो सकता है।”
 
साइबरनाइफ, ध्वनिक न्यूरोमा के उपचार को संभव कर पाया है। ये एक नई रेडिएशन थेरपी है, जिसमें नई तकनीक के इस्तेमाल से किसी तरह का चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इस सर्जरी में एडवांस रोबॉटिक्स, ट्यूमर की ट्रैकिंग और इमेंजिंग क्षमता शामिल हैं।
 
डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने आगे बताया कि, “ध्वनिक न्यूरोमा की सर्जरी ट्यूमर के आकार पर निर्भर करता है। इस ट्यूमर को स्टिबुलर स्कवानोमा के नाम से भी जाना जाता है। 1.5 सेमी और 2.5 सेमी के बीच के आकार वाले छोटे ट्यूमर को साइबरनाइफ की मदद से ठीक किया जाता है, जबकि 2.5 सेमी से बड़े आकार के ट्यूमर को सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। यदि ट्यूमर का आकार बड़ा है तो ज्यादा से ज्यादा मेडिकल समस्याएं होंगी।”
 
उपचार की शुरुआत सीटी स्कैन से होती है और फिर इस सीटी स्कैन की इमेज को साइबरनाइफ ट्रीटमेंट

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