नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाता है हल्का-फुल्का व्यायाम ,


 बदलती जीवनशैली और घर के परिश्रमी कामों में कमी के कारण गर्भवती महिलाओं के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम करना आवश्यक हो गया है। डॉक्टर द्वारा बताए गए व्यायाम को नियमित रूप से करने से न केवल गर्भ सुरक्षित रहता है बल्कि नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं 90% बढ़ जाती हैं।
सिजेरियन डिलीवरी के कारण महिला के स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचता है, जो एनेस्थेसिया की समस्या से शुरु होता है। डिलीवरी के बाद रिकवरी में देरी के कारण महिला को बार-बार बुखार और पूरे शरीर में दर्द हो सकता है। चूंकि, नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सिजेरियन में महिला का खून अधिक मात्रा में बह जाता है इसलिए उसे लंबे समय तक कमजोरी का अनुभव हो सकता है और नसों में थक्के बनने की संभावना भी रहती है। यदि पहली बार में सिजेरियन डिलीवरी होती है तो दूसरी बार भी सिजेरियन डिलीवरी करने से समस्याएं और अधिक बढ़ जाती हैं।
नई दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक और हेड, डॉक्टर मंजू खेमानी ने बताया कि, “चूंकि अधिकतर कामकाजी महिलाओं के पास शारीरिक गतिविधि के लिए शायद ही कोई समय बचता है, इसलिए उन्हें नॉर्मल डिलीवरी के लिए नियमित हल्का-फुल्का व्यायाम अवश्य करना चाहिए। स्वस्थ गर्भावस्था के लिए मध्यम तीव्रता वाली एरोबिक्स जैसे कि ब्रिस्क वॉक, साइकलिंग, योगा आदि नियमित रूप से करना चाहिए। हर रोज 5 मिनट के लिए टहलें और फिर धीर-धीरे आधे घंटे की वॉक करना शुरू कर दें। डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए व्यायाम के बाद ढेर सारा पानी पीना चाहिए।”
हालांकि, डिलीवरी से पहले होने वाले दर्द का कारण अज्ञात है, लेकिन अधिकांश महिलाएं दर्द से बचने लिए सिजेरियन करवाती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2018 के हालिया डाटा के अनुसार, पिछले एक दशक में सिजेरियन डिलीवरी के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों की तुलना में प्राइवेट अस्पतालों में सिजेरियन की फीस बहुत ज्यादा है।
लोगों में एक गलत धारणा बनी हुई है कि गर्भावस्था के दौरान नियमित व्यायाम करने से बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है। जबकि वैज्ञानिक अध्ध्यनों ने यह साबित किया है कि गर्भावस्था के दौरान हफ्ते में 3-4 दिन आधे से एक घंटे की एरोबिक एक्सरसाइज करने से न केवल गर्भ स्वस्थ रहता है बल्कि इससे नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाओं को भी बढ़ावा मिलता है।
डॉक्टर खेमानी ने आगे बताया कि, “अध्ध्यनों ने यह साबित किया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने वाली अधिकतर महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी होती है। इसके अलावा एक्सरसाइज की मदद से वजन को संतुलित रखा जा सकता है, मोटी महिलाओं में गर्भावस्था की डायबिटीज का रिस्क कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।”

Related Articles

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,876FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles