नोएडा से जुड़े, नशीली दवाएं और मादक पदार्थ के साथ दो अफगानी और एक उज्बेकिस्तानी महिला गिरफ्तार

नोएडा। देश के सबसे बड़े ड्रग्स रैकेट के तार नोएडा से जुडे नज़र आ रहे हैं। गुजरात के मुद्रा पोर्ट पर पिछले दिनों अफगानिस्तान से आई हेरोइन की खेप पकड़ने के बाद डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवन्यू इंटलीजेंस की टीम ने कई शहरों में छापेमारी की है। इसमें नोएडा भी शामिल है। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की लखनऊ यूनिट टीम ने नोएडा में हेरोइन की बड़ी खेप पकड़ी है। नोएडा और दिल्ली के कई स्थानों पर हुई छापेमारी के दौरान डीआरआई की टीम ने 10.20 किलो कोकीन, 11 किलो हेरोइन और 38 किलो अन्य नशीली दवाएं और मादक पदार्थ पकड़ा। मुताबिक इस मामले में दो अफगानी नागरिकों और एक उज्बेकिस्तान की महिला को गिरफ्तार किया है। ये हेरोइन, कोकीन, अन्य नशीली दवाएं और मादक पदार्थ गुजरात के मुद्रा पोर्ट में पकड़े गए ड्रग्स से जुड़ा ममला है।
डीआरआई की टीम ने तीन आरोपियों अफगान के मुर्तजा हाकिमी, जमशेद, उज्बेकिस्तान की सादोकत अख्मीदोवा एलिस हयात को नोएडा के सेक्टर-134 स्थित जेपी कॉसमॉस सोसायटी पर छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया था। सादोकत को जेल भेज दिया गया था, लेकिन मुर्तजा और जमशेद को कोर्ट से पांच दिन के रिमांड पर लिया गया था। यहां से कुछ सामान डीआरआई की टीम ने बरामद किया। जिसे सील कर ले जाया गया है। साथ ही इन अफगाली मूल के निवासियों से जुड़ी हुई एक कार भी इस केस में डीआरआई की टीम जब्त कर सोसायटी से ले गई है। लोकल पुलिस को इस छापेमारी या कार्रवाई के बारे में डीआरआई की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई। मुर्तजा और जमशेद से रिमांड के दौरन पूछताछ से शिमला में रह रहे महमूद और समीर का इनपुट टीम को मिला था। टीम ने शिमला से इन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और दिल्ली पुलिस की टीम भी नोएडा पहुंचीं। जांच एजेंसियों ने सभी आरोपियों से अलग-अलग पूछताछ की। फिलहाल, कोई भी एजेंसी इन आरोपियों के बारे में कुछ भी खुलकर नहीं बता रही है। एनआईए टीम इन आरोपियों का तालिबान कनेक्शन भी तलाश रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल टूरिज्म की आड़ में अफगान के युवक नोएडा में नशे का कारोबार चला रहे थे। अफगानिस्तान से इलाज के लिए दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में आने वाले लोगों और स्थानीय डाक्टरों के बीच यह युवक ट्रांसलेटर थे। इसके बदले में एक से डेढ़ लाख रुपये मिलते थे। शरणार्थी के रूप में रह रहे इन युवकों ने फर्जी तरीके से पहचान पत्र व आधार कार्ड तक बनवा लिए थे।
इस मामले में कई और बड़े लोगों पर जल्द शिकंजा कस सकता है। इसमें दिल्ली और नोएडा के कई लोग शामिल हो सकते हैं। डीआरआई का अंदेशा है कि ये बड़ा ड्रग्स रैकेट हैं। जो दिल्ली, एनसीआर और आसपास के इलाके में ड्रग्स सप्लाई करता है। इस ड्रग्स को देश के दूसरे कोनों में सप्लाई किया जाना था। डीआरआई की टीम इस पूरे नेटवर्क को पकड़ने में जुटी है।

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