पड़ताल: मुजफ्फरपुर में फैली चमकी बीमारी का सच जानें, क्या लीची खाने से मर रहे है बच्चे?

“अगर बिहार में 150 से भी ज्यादा बच्चों का खात्मा करने वाली जानलेवा बीमारी से अपने बच्चे को बचाना चाहते हैं तो, लीची उन्हें बिल्कुल नहीं खिलाएं।”
आजकल आप भी सोशल मीडिया पर ऐसे मेसेज पढ़ रहे होंगे, जिनमें एक्यूट इनसेफेलाइटिस सिंड्रोम से बचाव के लिए बच्चों को लीची खिलाने से मना किया जा रहा है। अथवा सोशल मीडिया में वायरल खबरों के अनुसार, लीची खाने के कारण ही मुजफ्फरपुर में बच्चे चमकी बुखार से ग्रसित हो रहे हैं। यकीनन इन मेसेज को पढ़कर आपने भी लीची खाना बंद कर दिया होगा, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि, मुजफ्फरपुर में फैली इस बीमारी के पीछे की असली वजह लीची नहीं है बल्कि कुछ और है।

आपको बता रहे हैं, लीची के बारे में आखिर क्या कहते हैं डॉक्टर्स, और आधिकारिक रिपोर्ट? क्या सच में लीची उतार रही है बच्चों को मौत के घाट, या किसी और कारण से हो रहा है चमकी बुखार का अटैक?

दरअसल आपको मालूम हो मुजफ्फरपुर लीची बागानों के लिए मशहूर है और गर्मी के मौसम में यहां भरपूर मात्रा में लीची के फलों की खेती होती है। और यह इलाका करीब 1995 से ही इनसेफेलाइटिस के वायरस से ग्रसित रहा है। इस बार जब चमकी बुखार से होने वाली मौत की खबरें सामने आई्ं, तो पाया गया कि, बीमार बच्चों में से ज्यादातर अधिकतम मात्रा में लीची खाते थे। इसके बाद से कई खबरों में इस बीमारी को लीची से जोड़कर दिखाया जाने लगा जिससे लोगों के बीच यह भ्रामक संदेश फैल गया कि, चमकी बुखार लीची खाने के कारण ही हो रहा है।

आइये जानें क्या कहती है पड़ताल?

हमारी टीम ने जब इन दावों की पड़ताल की तो पता चला कि इस चमकी बीमारी का लीची से कोई सीधा संबंध नहीं है। 

बांग्लादेश और अमेरिका के वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन के अनुसार लीची नहीं, बल्कि उसकी खेती में इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रतिबंधित कीटनाशक इस बिमारी का कारक बना हुआ है। यह रिपोर्ट साल 2017 में ‘द अमेरिकन जर्नल आफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाईजीन’ में भी छपी है।

एसकेएमसीएच अस्पताल जहां सबसे ज्यादा बच्चे इलाज के लिए भर्ती हुए हैं, वहां के डॉक्टरों ने भी लीची से बीमारी होने वाले दावों को खारिज किया है।

लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर (बिहार) के वैज्ञानिकों का भी यह कहना है कि, लीची में ऐसा कोई हानिकारक तत्व नहीं है, जो इस चमकी नामक गंभीर बीमारी का कारण बने। 

स्वास्थ्य विभाग ने इससे संबंधित जो प्रेस रिलीज जारी की है, उसमें भी यह बताया गया है कि, कुपोषित शरीर में अचानक हाइपोग्लाइसीमिया की मात्रा बढ़ने के कारण यह बीमारी होती है। इसमें लीची खाने को लेकर किसी तरह की एडवाइजरी जारी नहीं की गई है।

इसलिए, हमारी पड़ताल में एक्युट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम, चमकी बुखार या जापानी बुखार के मामले में लीची को लेकर सोशल मीडिया पर किए जाने वाले दावों की खबर गलत साबित हुई।

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