यह पंक्तियां “ऐ जिंदगी! तू कैसा है सफर…” नामक काव्य संग्रह से ली गईं हैं। इस कविता संग्रह को केरल के पालघाट में जन्मे और पश्चिम बंगाल में पले-बढ़े युवा कवि अजीश नायर ने लिखा है। कुल 80 पेज के इस काव्य संग्रह का प्रकाशन माय बुक्स पब्लिकेशन ने किया है। यह काव्य संग्रह केवल कविताओं का ही नहीं बल्कि भावनाओं, संवेदनाओं और अभिव्यक्ति का भी संग्रह है। अजीश ने इस संग्रह में कुल 42 कविताओं को शामिल किया है। इस काव्य संग्रह में विभिन्न मुद्दों पर लिखी कविताओं का संकलन है।
जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे सुख-दुःख, मोहब्बत, देशभक्ति, जनचेतना के साथ-साथ अजीश ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाजिक बुराई पर भी प्रहार किया है।
अजीश की सबसे खूबसूरत बात है कठिन से कठिन विषयों को भी बड़ी सहजता से शब्दों में पिरो कर अपनी बात रख देना। उनकी कई कविताओं का एक से अधिक अर्थ निकलता है। एक विषय पर बात करते करते कैसे वे एक अन्य विषय पर भी अपनी बात कह कर निकल जाते हैं इसका एक उदहारण देखिए। नीचे लिखी पंक्तियाँ “तुम अकेले नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ” से ली गई हैं जिसमें कवि लेखक जिंदगी के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात कर रहे हैं। इसी कविता में बड़ी होशियारी से वे राष्ट्र प्रेम पर अपनी बात कर जाते हैं –
कभी न सोचा राष्ट्र का भला, कभी न इसका हित,
केवल धन कमाने को लेकर निकला काला चित।
गरीब को लूटा, आज मैं बड़ा हताश हूँ,
मेरा जीवन जा चुका है ना मैं किसी का खास हूँ।
अजीश की कविताओं में उनकी निर्मल और पवित्र आत्मा प्रतिबिंबित होती है। प्रेम और विरह पर लिखी गई इन लाइनों से उनके विचारों की एक झलक मिलती है –
तुझे छोड़ने को सोचा पर न छोड़ पाया मैं,
तेरे दिल को तोड़ने को सोचा पर न तोड़ पाया मैं।
तेरी मोहब्बत को रुस्वा कर जरूर भाग जाता मैं,
पर मोहब्बत को दगा से न तोड़ पाया मैं।
कवि ने अपनी कविताओं में समाज में हो रहे अन्याय को उजगार करने की भी कोशिश की है जो इस कविता में साफ-साफ झलकता है।
अजीश की कविताओं में कठिन से कठिन विषयों से लेकर हल्की-फुल्की मानवीय संवेदनाओं पर भी बड़ी बेबाकी से बात की गई है।
इस कविता संग्रह में सामाजिक बुराई जैसे भ्रष्टाचार, गरीबी, देश में लोकतंत्र की स्थिति जैसे गंभीर मुद्दों पर भी कविताओं को शामिल किया गया है। गांव से लेकर शहर तक, रिश्तों से लेकर दोस्ती तक हर विषय पर कविता के माध्यम से लेखक ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। राष्ट्रवाद हो या ईश्वर को नमन करती हुई आध्यात्मिक कविताएं लेखक ने बहुत ही नपे-तुले शब्दों में अपने ह्रदय के उदगार को व्यक्त किया है।
अजीश की कविताओं की खूबसूरती उनकी भाषा-शैली में है. अजीश ने बेहद सहज व सरल पर बेहद प्रभावी भाषा का प्रयोग किया है। कविता को सूक्ष्मता के साथ परोसा गया है। कविता की तारतम्यता बनी रहती है जो कि पाठक को आनंद प्रदान करती है। इस संग्रह में हिंदी के अलावा उर्दू, देशज, इंग्लिश आदि शब्दों को आसानी से पढ़ा जा सकता है। कही-कही कठिन शब्दों का प्रयोग किया गया है परंतु शब्दों को समझने में कोई कठिनाई नहीं आती है। श्रृंगार, शांत, भक्ति, वीर,करुण, वात्सल्य आदि रसों को प्रधानता दी गई है।
सभी विषयों को एक माला में पिरोता हुआ यह काव्य संग्रह बहुत ही आनंददायक है। काव्य प्रेमियों के साथ आम लोगों को भी इस संग्रह को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
किताब का नाम-ऐ जिंदगी! तू कैसा है सफर…
लेखक-अजीश नायर
प्रकाशक-मॉय बुक्स पब्लिकेशन