प्रदूषण से बढ़ रहा है पल्मनरी रोग

दिल्ली: गलत जीवनशैली और खराब हवा के कारण राजस्थान में फेफड़ों की बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। विषेशज्ञों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में गंभीर पल्मोनरी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और इसके लिए धूम्रपान और खराब हवा मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

यह जानकारी नई दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हाॅस्पिटल के विशेषज्ञों ने आज यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दी। मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत के एडल्ट सीटीवीएस, हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट के एसोसिएट डायरेक्टर और स्पेशलिस्ट डॉ. राहुल चंदोला ने बताया कि आज दुनिया भर में, लाखों लोग इंटरस्टिषियल लंग डिजीज (आईएलडी) सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं और इसके लिए अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के अलावा आनुवांशिक असामान्यताएं और बढ़ते प्रदूषण मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में पल्मोनरी रोगों से गंभीर रूप से पीड़ित रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके लिए धूम्रपान के साथ- साथ खराब हवा जिम्मेदार है।

जयपुर वासियों में पल्मोनरी संबंधी समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. राहुल चंदोला ने बताया कि जो लोग नियमित रूप से जहरीले धुएं और पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहते हैं उनमें पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईएलडी) होने का खतरा अधिक होता है।

उन्होंने बताया कि इस तरह के बढ़ते मामलों और इन जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है। अंतिम चरण में पहुंच चुके फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त लोगों की जीवन लंबा नहीं होता है और इन रोगियों को लंबे समय तक जीवित रखने के लिए फेफड़े का प्रत्यारोपण जरूरी होता है। अंतिम चरण के फेफड़ों के रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए फेफड़ों के प्रत्यारोपण की सुविधा अब उत्तर भारत में मैक्स हाॅस्पिटल, साकेत में उपलब्ध है।

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