प्रियंका चतुर्वेदी के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह भी पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। सूत्रों की मानें तो अखिलेश बीजेपी के नेताओं के संपर्क में हैं।
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माना जा रहा है कि अखिलेश प्रताप सिंह देवरिया लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन यहां से नियाज़ अहमद को पार्टी ने अहमियत दी है। तब से वह पार्टी के फैसले से नाराज़ है। हालांकि, पार्टी ने अखिलेश को अपना स्टार प्रचारक बनाकर थोड़ी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है लेकिन यह नाकाफी नज़र आ रहा है।
कांग्रेस के लिए क्यों अहम है अखिलेश?
2018 में जब राहुल गांधी ने अखिलेश को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया था तब से वे प्रखर तरीके से पार्टी की बात रखते हैं और पार्टी को डिफेंड भी करते हैं। साथ में उनके बारे लोगों का यह भी मानना है कि वह पूर्वांचल के जनप्रिय नेता हैं और पूर्वांचल के सत्ता में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। इतना ही नहीं वह 2012 विधानसभा चुनाव में रूद्रपुर से विधायक भी बने।
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इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देते हुए शिवसेना का दामन थाम लिया। उन्होंने कांग्रेस पर अनदेखी का आरोप लगाया था और पार्टी में गुंडों बदमाशों का तरजीह देने की बात कही थी।
इसके इतर जानकारों का मानना है कि प्रियंका का पार्टी छोड़ने के पीछे की असली वजह North Mumbai से उनको टिकट नहीं मिलना है। लेकिन वजह चाहे जो भी लोकसभा चुनाव के बीच में राष्ट्रीय प्रवक्ता और वरिष्ठ नेताओं का इस तरह पार्टी छोड़ कर जाना कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं है।