मेरठ। संस्कृत भारती के मेरठ प्रांत अध्यक्ष प्रो. पवन शर्मा ने कहा कि संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान को बाहर लाकर उसके अध्ययन से ही समस्त मानवता का कल्याण होगा। बिना संस्कृत अध्ययन के हम आधुनिक तकनीकी, चिकित्सा विज्ञान, प्रबंधन, वाणिज्य, आदि विषयों को नहीं जान सकते। इसलिए आवश्यकता है संस्कृत के अध्ययन की है। संस्कृत सरल है, इसे आसानी से सीखा जा सकता है।
अखिल भारतीय संस्कृत सम्मेलन का मेरठ में आयोजन किया जा रहा है। इस पर संस्कृत भारती के मेरठ प्रांत अध्यक्ष प्रो. पवन शर्मा ने कहा कि मैंने अभी हाल ही में संस्कृत भारती के कार्य की दृष्टि से यात्रा करके यह अनुभूत किया है कि भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा के प्रति बड़ी तेजी से रुचि उत्पन्न हो रही है। उसका मुख्य कारण संस्कृत में निहित तत्वज्ञान है।
भारत में अभी कुछ वर्षों में संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं में बहुत अधिक तेजी से रुझान बढ़ा है। सर्वत्र छात्र संख्या में वृद्धि हुई है। संस्कृत संभाषण करने वाले युवक-युवतियां लाखों की संख्या में तैयार हुए हैं। अनेक संस्कृत परिवारों का निर्माण भी हो रहा है। संस्कृत भारती 1981 से संस्कृत संभाषण आंदोलन को लेकर प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती पूरे वर्ष संपूर्ण भारत में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को चलाती है जैसे संस्कृत संभाषण शिविर, व्याकरण वर्ग, संस्कृत बाल केंद्र, शास्त्र वर्ग, स्तोत्र कक्षाएं, वेदांत वर्ग, न्याय वर्ग, योग वर्ग आदि। समय-समय पर कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण एवं सम्मेलन का भी आयोजन होता है।
प्रो. पवन शर्मा ने बताया कि 19 से 21 नवम्बर तक मेरठ में अखिल भारतीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें संपूर्ण भारत से सभी राज्यों के 650 संस्कृत भारती के कार्यकर्ता सम्मिलित होंगे। जो 03 दिन मेरठ में रहकर संस्कृत भारती के कार्य की दशा और दिशा देखेंगे। नई शिक्षा नीति के हिसाब से किस प्रकार से हमें कार्य करना है उसका चिंतन और मंथन करेंगे। संस्कृत भारती का लक्ष्य संस्कृत भाषा को आमजन की भाषा बनाना है। इस उद्देश्य से संस्कृत भारती ग्राम स्तर पर कार्य कर रही है। इस कार्यक्रम के संयोजक संस्कृत भारती के प्रांत मन्त्री डॉ. नरेन्द्र पाण्डेय है।