17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में मतदाताओं ने प्रचंड बहुमत के साथ देश की बागडोर दोबारा फिर पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंप दी है। बीजेपी ने इस बार साल 2014 से भी बड़ी और ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। भारत में पहली ऐसी गैर-कांग्रेसी पार्टी जिसने लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है। 10 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में क्लीन स्वीप… अकेले दम पर 303 से अधिक सीटें… ये ऐतिहासिक कामयाबी सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर है। भाजपा के राष्ट्रवाद की लहर पर सवार मतदाताओं ने जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टीकरण की राजनीति को ध्वस्त कर पीएम मोदी का बोलबाला कर दिया है।


और साथ ही कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी की लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बुरी तरह हारी है, ऐसी कि नेता प्रतिपक्ष के लिए फिर एक बार जरूरी आंकड़ा तक नहीं जुटा सकी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में यह हार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी (1989) के नेतृत्व में शिकस्त से भी बुरी रही। 2019 के लोकसभा चुनाव से करीब 5 माह पहले कांग्रेस जिन तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को हराकर सत्ता में लौटी थी, वहां भी उसे करारी हार झेलनी पड़ी। यहाँ तक खुद राहुल गांधी अपनी पुश्तैनी सीट माने जानी वाली अमेठी से चुनाव हार गए और अमेठी से हारने वाले वह गांधी परिवार के पहले सदस्य हैं।
कांग्रेस के नौ पूर्व मुख्यमंत्रियों(CM) समेत कई बड़े दिग्गजों को हार का मुँह देखना पड़ा। दिल्ली की सत्ता के सबसे बड़े द्वार यूपी में भी भाजपा ने सधी रणनीति से सपा-बसपा गठबंधन की चुनौती को इस क़दर ध्वस्त कर दिया कि यादव परिवार से जहाँ हर बार 6 सासंद बनते थे वहाँ सिर्फ दो (अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव) रह गए है। यह और बात है कि यूपी में भाजपा की सीटें कुछ कम हो गईं। बीजेपी ने 12 प्रमुख और बड़े राज्यों में 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने के साथ ही पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बीते चुनाव की सफलता से भी बड़ी लकीर खींच दी है। वहीं, यूपी में सहयोगी अपना दल के साथ मिलकर भी इसने 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर हासिल किया है
बदनीयत से कोई काम नहीं करूंगा- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीतने के बाद कहते है कि, कोटि-कोटि नागरिकों ने फकीर की झोली भर दी और 21 वीं सदी में 2019 का यह चुनाव किसी के पक्ष में नहीं बल्कि भारत के लिए। दो थे तब भी निराश नहीं हुए, और दोबारा आए हैं तब भी, आदर्शों को नहीं छोड़ेंगे और मैं बदनीयत से कोई काम नहीं करूंगा। गलती हो जाए तो कसते रहना और कोसते रहना और अब देश में सिर्फ दो जाति होगी, गरीबी और गरीबों को मुक्ति में योगदान देने वालों की।
39 साल बाद इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ…
39 साल बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब सीटों में इजाफा करते हुए पूर्ण बहुमत वाली सरकार दोबारा केंद्र में आयी है।
300 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी पहली बार
गांधी परिवार वाली सीट अमेठी से पहली बार भाजपा जीती
पहली दफा है, जब बीजेपी को लगातार दोबारा राजस्थान, गुजरात, दिल्ली में 100 प्रतिशत सीटें प्राप्त हुई हैं।
पहली बार अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी अपने दम पर विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रही है।
हिंदी बेल्ट के तीन प्रमुख राज्य – राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2004-2018 तक जो पार्टी विधानसभा चुनाव जीती, वहां लोकसभा चुनाव में भी वही विजयी रही लेकिन इस बार यह ट्रेंड उलट गया।