मुज़फ्फरनगर के लेखक फरमान अब्बासी की कलाम से …
समाज को आइना दिखाने का काम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया का होता है। जो चार पिलरों में से सबसे मजबूत पिलर कहा जाता है। यदि लोकतंत्र का कोई पिलर डगमगाता नज़र आता है, तो चौथा स्तम्भ उन्हें आईना दिखाकर सही राह पर चलने की सीख देता है, लेकिन जब वही आईना दिखाने वाला स्तम्भ डगमगा जाए तो उसे कौन आईना दिखाए? ये सवाल बहुत लोगो के मन मे है, जो देश की तरक्की, खुशहाली चाहते है। राजनीति से हटके मुल्क की बेहतरी के लिए कार्य करते है। कैराना विधायक नाहिद हसन के साधारण बयान को मीडिया ने स्वयं हिन्दू-मुस्लिम बना दिया। विधायक द्वारा वीडियो में भाजपाइयों से सामान न खरीदने की अपील करते हुए कुछ दिनों के लिए पानीपत या झिंझाने से सामान खरीदने की बात कही थी। ये इसलिए ताकि उन्हें भी इसका अहसास हो सके कि रोजगार पर संकट आने पर स्वयं पर क्या गुजरती है। कैराना में ठेली लगाकर फल फ्रूट, सब्जी वगैरह बेचने वालों के ठिये हटा दिए गए। उनकी हिमायत किसी भाजपाई ने नही की।
सवाल यह है कि भाजपाइयों के खिलाफ कुछ भी कहना क्या हिंदुओ के खिलाफ बोलना है। क्या कैराना के लोग सिर्फ मुस्लिम है जिन्होंने नाहिद को वोट देकर विधायक बनाया। तीसरा सवाल क्या पानीपत में मुस्लिम कारोबार करते है जहां से सामान लाने की बात कही गई। मेरा कहने का मतलब ये है कि नाहिद के बयान को अपनी तरफ से तोड़ मरोड़ कर हिन्दू मुस्लिम का रंग देकर मीडिया ने बढ़ावा दिया है, ताकि देश मे नफरत का एक सन्देश जाए और मीडिया इसमे कही हद तक कामयाब होती भी दिखाई दी है। जिसका अहसास वीएचपी नेता साध्वी प्रज्ञा के बयान को सुनकर लग जाता है। बहरहाल साध्वी के बयान पर कोई डिबेट नही होगी, कोई बखेड़ा नही होगा, इससे देश मे कोई खतरा भी मीडिया को नही दिखेगा, क्योकि उसने बीजेपी के खिलाफ नही बोला। और आजकल देश द्रोही वो होता है जो बीजेपी की मुखालफत करता हो। वो बात अलग है कि वो चाहे देश की आन, शान, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तौहीन ही क्यो न कर दे। अब साध्वी प्रज्ञा ने मीडिया की बात सुनकर जज़्बातों में आकर मुसलमानों से कावड़ न बनवाने की बात कही। कल फिर दूसरा खड़ा हो जाएगा वो बोलेगा साध्वी जी मुसलमानों से इतनी नफरत है तो मुस्लिम कंट्री से आ रहे पेट्रोल डीजल की गाड़ियों में घूमना भी बंद कर दीजिए। गैस को बेन कर मिट्टी के चूल्हों पर खाना बनाना शुरु कर दीजिए। ये सिलसिला चलता ही रहेगा, और दिलो में नफरत बढ़ती ही रहेंगी क्योकि यहां राजनीतिक लोग प्रेम, सद्भाव, नही नफरत बांटकर कामयाबी हासिल कर रहे है। इसकी सौ फीसदी जिम्मेदार मीडिया ही कहलाई जाएगी क्योकि मीडिया जहरीली डिबेट कराती है जो कैंसर की बीमारी से भी ज्यादा घातक साबित होगी, हालांकि लोगो ने अब न्यूज़ चेनल्स पर विश्वास करना बंद कर दिया है। मैं अपने हिन्दू भाइयो से अपील करता हूँ कि मीडिया की साजिश से खबरदार हो जाइए, जो एक समुदाय के लिए आपके दिलो में नफरत पैदा करना चाहती है। याद रखिये मेरे देश के लोगो जब जब देश मे राजनीतिक लोगो द्वारा फैली नफरत की चिंगारी से दंगा हुआ तब तब किसान, मज़दूर, गरीब, मज़लूमो का लहू बहा, उन मज़दूरों, गरीबो, किसानों में कोई सिर्फ एक धर्म का नही होता उनमें सब धर्म के लोग होते है। हिन्दू भी होते है मुस्लिम भी होते है, उनमें नही होता तो नरेंद्र मोदी नही होता, मुलायम सिंह यादव नही होता, योगी आदित्यनाथ नही होता, अश्दुद्दीन ओवेशी नही होता। एमपी, विधायक या कोई मंत्री, नेता नही होता, क्योकि वो हिन्दू-मुस्लिम की राजनीतिक लाभ के लिए बात कर सकते है, लेकिन मैदान में आकर तुम्हारी जगह जाने नही दे सकते, अगर ये वाकई में हमारे हमदर्द होते तो आग भड़काकर घरों में दुबक न जाया करते। हर दंगे में नेता मरा करते, गरीब मज़लूम नही। इस सियासत को समझने की जरूरत है। मैं कैराना विधायक की बात बार बार इसलिए कर रहा हूँ क्योकि मैं भी पश्चिम उत्तर प्रदेश का वासी, और मैं किसी भी कीमत पर नही चाहता कि हमारे क्षेत्र में नफरत को बढ़ावा मिले। मैं विधायक की वकालत नही बल्कि मीडिया की सच्चाई आपको दिखाना चाहता हूँ। टीवी में कुछ भी देखकर एक दम आग बबूला न होना क्योकि आज की पत्रकारिता की तुलना महात्मा गांधी या मौलाना अबुल कलाम आजाद से नही की जा सकती है। ये मान लीजिए टीवी का रिमोट किसी के हाथ मे होता है, ऐसी ही कुछ मिसाल अब मीडिया की समझ लीजिए।
Farman Abbasi Writer✍🏼