मुजफ्फरनग: वेस्ट पेपर से बनाया राष्ट पिता का चित्र

मुजफ्फरनगर। 2 अक्टूबर का दिन हिंदुस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। पूरे भारत वर्ष में 2 अक्टूबर को हर वर्ष गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। 2 अक्टूबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सत्य और अहिंसा को लेकर बापू के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। गांधी जयंती के दिन स्कूल, कॉलेजों में वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है , भारत का हर एक व्यक्ति 2 अक्टूबर के दिन अपने राष्ट पिता महात्मा गाँधी को याद करता है। लेकिन इन सब से परे मुज़फ्फरनगर के एक युवा छात्र ने इस वर्ष 2 अक्टूबर का दिन विशेष तौर पर मानाने का फैसला किया है। मुज़फ्फरनगर के बी कॉम के छात्र तुषार शर्मा ने अखबारों की रद्दी से राष्ट पिता महात्मा गाँधी का छाया चित्र बनाकर अपनी अनोखी प्रतिभा का उद्धरण पेस किया है। इससे पहले छात्र तुषार शर्मा ने लॉक डाउन के समय वेस्ट पेपर की रद्दी से लाल किला ,इंडिया गेट,अयोधा का राम मंदिर और अख़बार की रद्दी से ही राष्ट पिता महात्मा गाँधी का चरखा बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके है।

मुज़फ्फरनगर जनपद के गाँधी कालोनी लालबाग निवासी व्यापारी जीतेन्द्र शर्मा के छोटे बेटे तुषार शर्मा ने अपनी 19 वर्ष की आयु में लॉक डाउन के बिच अपनी प्रतिभा के बल पर ना सिर्फ अखबारों की रद्दी से आकर्षक राम मंदिर का मोडल तैयार किया है बल्कि 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर समाचार पत्रों की रद्दी से दिल्ली का लालकिला और इंडियगेट बनाकर भारत का गौरव बढ़ा रहा है। तुषार ने पेरिस के विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर भी समाचार पत्रों की रद्दी से बनाकर अपने माता पिता के साथ साथ जनपद का नाम रोशन किया है। तुषार बी कॉम के छात्र है। तुषार को बचपन से कुछ अलग करने का शोक है। कोरोना महामारी के चलते जब देश में लॉक डाउन लगाया गया तो स्कूल कालेज बंद होने के कारन तुषार ने घर में रहकर समाचार पत्रों को रद्दी में ना देकर वेस्ट अखबारों को एक नया रूप देने का मन बना लिया। तुषार ने सबसे पहले अख़बार की रद्दी से पेंसिल बॉक्स बनाया और फिर बाइक ,फिर एक के बाद एक तुषार ने पढाई के साथ साथ रातो को जाग जाग कर न्यूज़ पेपर से बैल गाड़ी,कूलर ,साईकिल ट्रेक्टर और धनुष बाण के साथ राम मंदिर का निर्माण एक सप्ताह में कर दिखाया है। तुषार का कहना है की लॉक डाउन के समय जब स्कूल बंद हो गये घर पर खाली समय बर्बाद नहीं किया। घर में अख़बार आ रहे थे लेकिन उन्हें रद्दी में डालना सही नहीं लग रहा था। कुछ लोग रद्दी अखबारों से लिफाफे बनाते है मेने कुछ नया करने का सोचा और केवल अख़बार और फेविकोल की मदद से धीरे धीरे रद्दी अखबारों को नया आकर देना शुरू कर दिया। एक दिन मेरे जीजा जी घर आये और बोले की अयोध्या का राम मंदिर बनने जा रहा है तुम उससे पहले राम मंदिर बनाओ तो मेने एक सप्ताह में दिन रात जाग कर मंदिर बना दिया पहले मेने इंटरनेट पर राम मंदिर की फोटो देखी और फिर वैसा ही राम मंदिर बना दिया। मंदिर के फाउंडेशन के लिए मेने अख़बार की रद्दी से 15 सो बीम बनाये और मंदिर की बुर्जी तैयार की। इस कार्य में मेरे माता पिता और बड़े भाई का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। तुषार ने एक बार फिर अपनी अनोखी प्रतिभा के चलते 2 अक्टूवर राष्ट पिता महात्मा गाँधी की जयंती पर अख़बार की रद्दी से बाबू का सुन्दर चित्र बनाकर महात्मा गाँधी को समर्पित किया है।

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