मुज़फ़्फ़रनगर के एक छात्र ने कुछ इस अंदाज़ में मनाया स्वतंत्रता दिवस

मुज़फ़्फ़रनगर: प्रत्येक वर्ष हिंदुस्तान में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सभी भारतीयों के लिए 15 अगस्त किसी त्यौहार से कम नहीं होता क्योंकि वर्षो की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से 15 अगस्त 1947 में भारत को अंग्रेजो से आज़ादी मिली थी। इस लिए भारत के सभी राज्यों में सर्व धर्म के लोग इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है।

यू पी के मुज़फ्फरनगर में कक्षा 12 का एक छात्र 15 अगस्त को अपने अनोखे अंदाज में मना रहा है। जिसके लिए छात्र ने दिन रात एक कर घर पर ही अखबारों की रद्दी से ना सिर्फ दिल्ली का लाल किला तैयार किया है बल्कि न्यूज़ पेपर की रद्दी को इंडिया गेट का रंग रूप दे दिया है।

मुज़फ्फरनगर जनपद के गाँधी कालोनी लालबाग निवासी व्यापारी जीतेन्द्र शर्मा के छोटे बेटे तुषार शर्मा ने अपनी 19 वर्ष की आयु में लॉक डाउन के बिच अपनी प्रतिभा के बल पर ना सिर्फ अखबारों की रद्दी से आकर्षक राम मंदिर का मोडल तैयार किया है बल्कि 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर समाचार पत्रों की रद्दी से दिल्ली का लालकिला और इंडियगेट बनाकर भारत का गौरव बढ़ा रहा है।

तुषार ने पेरिस के विश्व प्रसिद्ध एफिल टॉवर भी समाचार पत्रों की रद्दी से बनाकर अपने माता पिता के साथ साथ जनपद का नाम रोशन किया है। तुषार कक्षा 12 के छात्र है। और अभी हाल ही में इंटरमीडियट की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से कक्षा 12 उत्र्तीण की है। तुषार को बचपन से कुछ अलग करने का शोक है।

कोरोना महामारी के चलते जब देश में लॉक डाउन लगाया गया तो स्कूल कालेज बंद होने के कारन तुषार ने घर में रहकर समाचार पत्रों को रद्दी में ना देकर वेस्ट अखबारों को एक नया रूप देने का मन बना लिया। तुषार ने सबसे पहले अख़बार की रद्दी से पेंसिल बॉक्स बनाया और फिर बाइक ,फिर एक के बाद एक तुषार ने पढाई के साथ साथ रातो को जाग जाग कर न्यूज़ पेपर से बैल गाड़ी,कूलर ,साईकिल ट्रेक्टर और धनुष बाण के साथ राम मंदिर का निर्माण एक सप्ताह में कर दिखाया है।

तुषार का कहना है की लॉक डाउन के समय जब स्कूल बंद हो गये घर पर खाली समय बर्बाद नहीं किया। घर में अख़बार आ रहे थे लेकिन उन्हें रद्दी में डालना सही नहीं लग रहा था। कुछ लोग रद्दी अखबारों से लिफाफे बनाते है मेने कुछ नया करने का सोचा और केवल अख़बार और फेविकोल की मदद से धीरे धीरे रद्दी अखबारों को नया आकर देना शुरू कर दिया।

एक दिन मेरे जीजा जी घर आये और बोले की अयोध्या का राम मंदिर बनने जा रहा है तुम उससे पहले राम मंदिर बनाओ तो मेने एक सप्ताह में दिन रात जाग कर मंदिर बना दिया पहले मेने इंटरनेट पर राम मंदिर की फोटो देखी और फिर वैसा ही राम मंदिर बना दिया। मंदिर के फाउंडेशन के लिए मेने अख़बार की रद्दी से 15 सो बीम बनाये और मंदिर की बुर्जी तैयार की। इस कार्य में मेरे माता पिता और बड़े भाई ने मेरे बहुत सहयोग किया।

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