मैंने भी खोई है अपने हक़ कि ज़मीन
उजड़ा शहर तो नुकसान सबका होगा,
तेरे हिस्से का गम मिलेगा बेशक तुझे
ख़ुशी मगर किसी को नसीब ना होगी,
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आग ज़ब लगती है तो हैसियत नहीं देखती
सब जलता है फिर कोई कीमत नहीं दिखती,
बेशक आज घर सिर्फ मेरा ज़ला हो
आग दर पे आकर ये किसी के नहीं रुकती,
कब तक मनाओगे जश्न अपनी जीत का
कल तुमसे बड़ा ज़ालिम तुम्हारे लिए होगा,
मैं ये नहीं कहता कि मैंने गुनाह नहीं किया
मगर मैंने कभी खुद को खुदा नहीं किया!!
-सलीम राव