मॉब लिंचिंग: 49 बड़ी हस्तियों ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, कहा- “जय श्री राम” के नारे को बदनाम करने कोशिश बंद होनी चाहिए!

देश में लगातार हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर शायद ही कोई बचा हो जिसने अपनी राय या अपना बयान जारी न किया हो, इसी बीच बड़ी खबर उभरकर आ रही हैं भारतीय फ़िल्मी दुनिया से, जहाँ फ़िल्म निर्देशकों, अभिनेताओं, कला जगत की हस्तियों ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक बड़ा पत्र लिखा है, और पत्र में उन्होंने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा है कि, इन घटनाओं को जल्द से जल्द रोका जाए। पीएम को लिखे इस पत्र में 49 बड़ी हस्तियों के हस्ताक्षर हैं और इनमें रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, अदूर गोपालकृष्णन, अर्पणा सेन और कोंकणा सेन जैसी और केई अन्य हस्तियां भी शामिल हैं।

पत्र में कहा गया है कि, मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों को ख़िलाफ़ हो रही “मॉब लिंचिंग” की घटनाओं को तुरंत रोका जाना चाहिए। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि, वे लोग इस बात से हैरान हैं कि, 2016 में दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार की 840 घटनाएँ हो चुकी हैं और पत्र में आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि, 1 जनवरी 2009 से लेकर 29 अक्टूबर 2018 के बीच धर्म के आधार पर नफरत फैलाने के 254 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, और इन घटनाओं में 91 लोगों की हत्या हुई है, और 579 लोग घायल हुए हैं। साथ ही पत्र में बिनायक सेन, सौमित्रो चटर्जी, रेवेथी, श्याम बेनेगल, शुभा मुदगल, रुपम इस्लाम, अनुपम रॉय और रिद्धी सेन के हस्ताक्षर भी मौजूद हैं।

आगे पत्र में कहा गया है कि, ‘जय श्री राम’ का नारा भारत के एक बड़े समुदाय के लिए बेहद पवित्र है। और उनके नाम को बदनाम करने की कोशिश बंद होनी चाहिए।

23 जुलाई को लिखे इस पत्र में आगे कहा गया है कि, प्रधानमंत्री जी आपने इस तरह की घटनाओं की संसद में कड़ी निंदा की थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। साथ ही यह सवाल पूछा गया है कि, ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की गई है।

पत्र में आगे यह भी कहा गया है कि, बेहद दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि, ‘जय श्री राम’ का नारा युद्धोन्माद पैदा करने वाला बन गया है। और इस वजह से क़ानून व्यवस्था की स्थिति भी ख़राब होती जा रही है। और इसके नाम पर ही कई हत्या की घटनाएँ भी हो चुकी हैं।

पत्र में आगे यह भी कहा गया है कि, बिना असहमति के लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता और लोगों को सिर्फ़ सरकार का विरोध करने के कारण राष्ट्र द्रोही या अर्बन नक्सल न करार दे दिया जाए, या उन्हें जेल में न डाल दिया जाए।

ये भी पढ़े: झारखंड के गुमला में एक और डायन-बिसाही कहकर चार बुजुर्गों की लाठी-डंडे से पीट-पीटकर हत्‍या, जानें पूरा मामला

आपको मालूम हो हाल ही में झारखंड के गुमला जिले में, 10-12 लोगों ने काला जादू करने के शक में, तीन परिवारों के चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

ये भी पढ़े: झारखंड तबरेज़ लिंचिंग केस: तबरेज़ की मौत पुलिस व डॉक्टरों की लापरवाही की वज़ह से हुई थी!

और साथ ही पिछले महीने झारखंड के ही जमशेदपुर में बाइक चोरी के शक में, 24 साल के युवक “तबरेज अंसारी” को भीड़ ने रात भर पीटा था। और कुछ ही दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। भीड़ ने उसे ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने के लिए भी कहा था और कुछ दिन पहले ही भीड़तंत्र के क्रूर होने की एक घटना बिहार के सारण में भी हुई थी। सारण जिले के बनियापुर गाँव में गाँव के लोगों ने तीन लोगों को पकड़ा था, और यह आरोप लगाया कि, ये उनके पशुओं को चोरी करने के लिए आए थे। इसके बाद ग्रामीणों ने तीनों को पीट-पीटकर मौत की नींद सुला दिया था।

वेबसाइट फ़ैक्टचेकर.इन के अनुसार, पिछले कुछ सालों में, भीड़ प्रायोजित हिंसा की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। और इनमें से अधिकांश घटनाओं में निशाने पर अल्पसंख्यक ही रहे हैं। आंकड़ों के सनुसार, पिछले दशक में देश भर में ऐसी कुल 297 घटनाएँ हुई थीं और इनमें 98 लोग मारे गए थे। और 722 लोग घायल हुए थे। फिर 2015 के बाद, पशु चोरी या पशु तस्करी को लेकर भीड़ के द्वारा हमले करने की कुल 121 घटनाएँ हो चुकी हैं, जबकि 2012 से 2014 के बीच ऐसी कुल 6 घटनाएँ हुई थीं।

अगर 2009 से 2019 के बीच हुई ऐसी घटनाओं को देखें तो 59 फ़ीसदी मामलों में, हिंसा का शिकार होने वाले मुसलिम थे। और इसमें से 28% घटनाएँ पशु चोरी और पशुओं की तस्करी से संबंधित थीं साथ ही आंकड़े यह भी बताते हैं कि, ऐसी 66% घटनाएँ भाजपा शासित राज्यों में हुईं, जबकि 16% घटनाएँ कांग्रेस शासित राज्यों में।

Related Articles

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,873FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles