मोहब्बत के रंग से भरके पिचकारी मुझको सराबोर कर दे
बहुत फ़ैल चुकी नफ़रत, इस बार खुद को आर-पार कर दे,
अपने रंग में मुझे रंग दे, मेरे रंग में तू रंग जा
इस होली को तू कुछ इस क़दर रंग से भर दे,
वो क्या खेलेंगे होली जिनको मतलब मोहब्बत का नहीं पता
अपनी हया के कुछ रंग ला और मेरी पेशानी को लाल कर दे,
यू तो ज़माने में लोग हज़ार बातें करेंगे
तू अपनी जिद को छोड़ और मुझसे बात कर ले,
सुना है कि पिछली होली के तेरे रंग अबतक नहीं उतरे
आ कुछ नज़दीक आ देख लू, ये मेरा वहम है या प्यार के रंग कच्चे नहीं होते,
कुछ भी हो ये नफरत तो पटेगी मोहब्बत के रंग से
वरना ज़माने में कम नहीं है रंग बदलने वाले,
मोहब्बत के रंग से भरके पिचकारी मुझको सराबोर कर दे
बहुत फ़ैल चुकी नफ़रत, इस बार खुद को आर-पार कर दे।।