मौलाना अरशद मदनी: देश के मौजूदा हालात 1947 के बंटवारे से ज्यादा खतरनाक हैं,

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ऐ-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अर’शद मद’नी ने देश में बढ़ती हुई आराजक’ता और मॉब लिंचिं’ग की घटनाओं के बारे में कहा है कि, ये संवि’धान को चुनौती और देश की न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान बन चुके है, झारखण्ड मॉब लिंचिंग की प्रयोग’शाला बन चुका है. सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाएं नहीं रुक रही हैं और देश के मौजूदा हालात 1947 (बंटवारे) से भी ज्यादा खराब और खतरनाक हो चुके हैं।

यह बात उन्होंने 4 जुलाई को जमीयत-उलेमा-हिंद की वर्किंग कमेटी की बैठक में कही. जमीयत के प्रेस सचिव फजलुर्रहमान कासमी ने बताया कि, “बैठक में बाब’री मस्जिद, तीन तलाक, असम नागरिक’ता और मॉब लिंचिंग की घटना’ओं पर चर्चा की गई वहीँ मौलाना मदनी ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के साफ आदेश के बाद भी यह दरिंदगी रुकने का नाम नही ले रही है।

जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई 2018 के आदेश में साफ कहा है कि, कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नही ले सकता और केंद्र सरकार ऐसी घटनाएं रोकने के लिए संसद में कड़े कानून बनाए. लेकिन अभी तक इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं और ध्यान रहे कि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब तक लगभग 56 लोग मॉब लिंचिंग का शिकार हो चुके हैं।

गृहमंत्री भी राज्यों को इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए आदेश दे चुके हैं लेकिन इस सब के बाद भी घटनाएं नहीं रुक रही हैं और इसे लेकर जमीयत सुप्रीम कोर्ट जाएगी, झारखंड हाईकोर्ट में याचिका पहले ही दाखिल कर चुके हैं.”

वहीं दूसरी बाब’री मस्जिद मामले पर मौलाना अरश’द मदनी ने कहा कि “कानून और सबूत के अनुसार सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय देगी हम उसको मानेंगे और कोर्ट के निर्णय का सम्मान करेंगे. लेकिन भारत के संवि’धान में दिए गए अधिकारों के तहत मुसलमा’नों के धार्मिक एवं परिवारिक मामलों में सरकार या संसद को दखल देने का अधिकार नही हैं. क्योंकि मजहबी आज़ा’दी हमारा बुनियादी हक हैं।

इसलिए ऐसा कोई भी कानून जिससे शरीयत में दख’ल होता है स्वीकार नही किया जाएगा. मुस्लिम समुदा’य के अलावा 68 प्रतिशत तलाक गैर मुस्लिम में होते है और 32 प्रतिशत अन्य समुदायों में और बावजूद इसके सरकार का ये दोहरा रवै’या समझ से परे है.”

हालांकि, बी’जे’पी प्रवक्ता राजीव जेटली का कहना है कि, पहले देश भर में कहीं न कहीं सांप्रदायिक दंगे होते रहते थे, और जिससे कुछ राजनीतिक पार्टियों का गुजारा चलता था. अब वो दंगे बंद हो गए हैं. दंगा भड़काने वाली पार्टियां खत्म होने की कगार पर आ गईं हैं और दो लोगों के बीच की लड़ाई को मॉब लिंचिंग बताने वाले लोग वही हैं, जाे फिर से कांग्रेस के जमाने वाले हालात पैदा करना चाहते हैं।

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