रेप किलिंग के आरोपित रईसजादे प्रतीक को दिलाऊंगी फांसी : सीमा कुशवाहा

कानपुर। देश के चर्चित निर्भया कांड के आरोपितों को फांसी की सजा दिलाने वाली अधिवक्ता सीमा कुशवाहा शुक्रवार की रात कानपुर पहुंची। यहां पर वह गुलमोहर अपार्टमेंट के उस कमरे का और जिस जगह मृतका का शव पड़ा था मौका मुआवना किया। उन्होंने कहा कि रेप किलिंग के आरोपित रईसजादे प्रतीक वैश्य को फांसी दिलाने का प्रण लेती हूं। ऐसे हैवानों को फांसी से कम सजा नहीं होना चाहिये, ताकि देशवासियों का कानून पर विश्वास बना रहे।

कल्याणपुर थाना क्षेत्र के गुलमोहर अपार्टमेंट में रहने वाले माडन डेयरी का मालिक रईसजादा प्रतीक वैश्य 21 सितंबर को 19 वर्षीय पर्सनल सेक्रेटरी (पीए) को काम का झांसा देकर फ्लैट पर लाया था। इसके बाद उसने फ्लैट का दरवाजा बंद करके उसके साथ दुष्कर्म किया। विरोध करने और पुलिस की शिकायत की बात कहने पर उसने अपनी पीए की दसवीं मंजिल से फेंक कर हत्या कर दी थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी प्रतीक के खिलाफ रेप, हत्या समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करने के बाद गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। मामले की जानकारी पर शुक्रवार की रात सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा सहयोगियों के साथ कानपुर पहुंची। कल्याणपुर थाने में इंस्पेक्टर वीर सिंह से कई बिंदुओं पर बात की।

उन्होंने कहा कि आरोपित के माता-पिता ने पुलिस को गुमराह किया, फिर भी पुलिस ने उन्हें मुल्जिम क्यों नहीं बनाया। जब पुलिस से न्याय नहीं मिला, तभी पीड़ित परिवार को सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ा। अपनी आवाज उठाना उनका संवैधानिक अधिकार है। फिर भी प्रशासन ने उनके खिलाफ ही मुकदमा लिख दिया, लिहाजा उस मुकदमे को वापस लिया जाना चाहिए।

रो पड़ी अधिवक्ता

थाना में इंस्पेक्टर से बातचीत के बाद अधिवक्ता सीमा कुशवाहा गुलमोहर अपार्टमेंट पहुंची। यहां पर उस जगह को नमन किया जहां पर दुष्कर्म पीड़िता का शव पड़ा था। खून के धब्बे को नमन कर सीमा ने प्रण लिया कि आरोपित रईसजादे प्रतीक वैश्य को कोर्ट के जरिये फांसी की सजा दिलाऊंगी। इस दौरान वह फफक कर रो पड़ी और कहा कि ऐसे हैवान को समाज में रहने की जगह नहीं है। सीमा 10वीं मंजिल के उस फ्लैट पर पहुंची जहां पर आरोपित ने युवती के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया था और फ्लैट की बालकनी से नीचे फेंक दिया था।

परिजनों के वापस हो मुकदमें

सीमा कुशवाहा ने कहा कि पुलिस ने परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है, जबकि परिजनों का लोकतांत्रिक अधिकार है न्याय न मिलने की उम्मीद पर विरोध करना। परिजनों समेत उन सभी लोगों के मुकदमें वापस होना चाहिये जो न्याय के लिए विरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आरोपित प्रतीक वैश्य ने वारदात के बाद अपने माता-पिता के फ्लैट में शरण ली थी। लिहाजा उन्हें भी साजिश रचने की धारा का मुल्जिम बनाया जाना चाहिए।

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