लुधिअना : रोज़ाना की नियमित दौड़ एक बहतरीन व्यायाम है और यह फिट रहने के सबसे प्रभावी उपायों में से एक है दौड़ना हमारे हृदय के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा साबित होता है दौड़ने से हृदय की धड़कनों में व्रद्धि हो जाती हैं, हर धड़कन के साथ हृदय अधिक मात्रा में रक्त पंप करने लगता है और इससे रक्त नलिकाओं का लचीलापन बरकरार रखने में पूर्ण मदद मिलती है इससे हृदय शक्तिशाली बनता है और हृदय रोगों की आशंका कम हो जाती है दौड़ना रक्तदाब को नियंत्रित कर उच्च रक्तदाब के खतरे को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए भी दौड़ना बहुत लाभदायक होता है क्योंकि दौड़ना रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम करता है लेकिन सिक्के का दूसरा पहलु भी है जिन लोगों को हृदय से संबंधित कोई बीमारी है तो लंबी दूरी तक दौड़ना उनके लिए जानलेवा भी हो सकता है।
सिबिया मेडिकल सेंटर के निदेशक डा. एस.एस.सिबिया का कहना है कि अगर आपने पहले कभी दौड़ नहीं लगाई है, लेकिन अब लंबी दूरी तक दौड़ना शुरू करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर आपकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है तो दौड़ना शुरू करने से पहले डॉक्टर की राय जरूर ले लें। पहली बार दौड़ने के बाद अपने अनुभवों को एक कागज पर लिखें कि आप कितनी गति से दौड़े, कितनी दूरी तक दौड़े और आपने क्या महसूस किया। अपनी गति को प्रति सप्ताह 10 प्रतिशत की दर से बढ़ाएं। एक सप्ताह में 5-6 दिन से अधिक न दौड़ें। सप्ताह में एक या दो दिन पूरी तरह शरीर को आराम दें। आराम करते समय आपके दिल की धड़कनें 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएं तो आराम करें यह आपके शरीर के थकने का संकेत हो सकता है हमेशा अपने शरीर की सुनें अगर दौड़ते समय आप थकान महसूस करें या दौड़ने में परेशानी आए तो आराम करें डॉक्टर से संपर्क करें जो लोग चालीस की उम्र में दौड़ना शुरू करते हैं उन्हें अपनी गति और दूरी को धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए और अगर आप किसी हृदय रोग से पीड़ित हैं, तो लंबी दूरी तक दौड़ने से पहले अपने डॉक्टर से चर्चा करें, क्योंकि इससे अचानक मृत्यु या मायो कार्डियल इनफार्क्शन हो सकती है, विशेषरूप उन्हें जो नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करते हैं इसका सबसे प्रमुख कारण एथेरोस्क्लेरोटिक कोरोनरी आर्टरी डिसीज है, लेकिन कभी-कभी हाइपरट्रोफिक कार्डियोमायोपेथी, एओर्टिक स्टेनोसिस और डायलेटेड कार्डियोमायोपेथी के कारण भी यह स्थिति आ सकती है लंबी दौड़ लगाने से हृदय रोगियों में एनजाइना, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर का खतरा भी बढ़ जाता है।