वाराणसी में पूर्व BSF जवान तेज बहादुर यादव को नहीं लड़ने दिया गया चुनाव, रद्द हुआ नामांकन

प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी से सपा प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करने वाले BSF के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव के लोकसभा चुनाव लड़ने के ख़्वाब पर पानी फिर गया है। निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी किए गए दो नोटिसों का जवाब देने बुधवार दोपहर 11 बजे तेज बहादुर यादव अपने वकील के साथ RO से मिलने पहुंचे।

जिसके बाद निर्वाचन अधिकारी तेज बहादुर के नामांकन पत्र को खारिज कर दिया और अब शालिनी यादव सपा की तरफ से चुनावी मैदान में मोदी को टक्कर देंगी। नामांकन पत्र के नोटिस के जवाब देने के दौरान तेज बहादुर के समर्थकों और पुलिस के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई, जिसके बाद पुलिस ने समर्थकों को कचहरी परिसर से बाहर कर दिया।

वहीँ तेज बहादुर ने आरोप लगाया है कि, उन्हें मोदी सरकार चुनाव लड़ने से रोकना चाहती है और कुछ अधिकारी बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं. अंतिम क्षण में बर्खास्तगी का कारण पूछा जा रहा है और कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग से लिखवाकर लाइए कि चुनाव लड़ सकता हूं कि नहीं. यदि ऐसा था तो नामांकन पत्र भरते समय मुझे बताना चाहिए था.

मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच में बीएसएफ से बर्खास्त किए जाने के संबंध में दो नामांकन पत्रों में अलग-अलग जानकारी सामने आने के बाद उन्हें नोटिस दिया गया था, वहीँ प्रेक्षक प्रवीण कुमार की मौजूदगी में नामांकन पत्रों की जांच शुरू हुई।

जांच के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह द्वारा तेजबहादुर को बीएसएफ से बर्खास्तगी के संबंध में दो नामांकन पत्रों में अलग-अलग जानकारी देने पर नोटिस देकर 24 घंटे में BSF से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर प्रस्तुत करने को कहा गया था।

तेज बहादुर को कहा गया है कि, यादव बीएसएफ से प्रमाणपत्र लेकर आएं, जिसमें यह स्पष्ट हो कि उन्हें नौकरी से किस वजह से बर्खास्त किया गया था, वहीँ जांच में पाया गया कि यादव ने पहले नामांकन में ‘भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन पद धारण करने के दौरान भ्रष्टाचार या अभक्ति के कारण पदच्युत किया गया’ के सवाल पर हां में जवाब दिया और विवरण में 19 अप्रैल, 2017 लिखा है। जबकि दूसरे नामांकन में शपथ पत्र प्रस्तुत कर पहले नामांकन में गलती से हां लिख दिया गया, बताया है और शपथ पत्र में बताया कि तेज बहादुर यादव सिंह पुत्र शेर सिंह को 19 अप्रैल, 2017 को बर्खास्त किया गया, मगर भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा पद धारण के दौरान भ्रष्टाचार एवं अभक्ति के कारण पदच्युत नहीं किया गया है।

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