लखनऊ। डबल इंजन की सरकार ने उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार को भी दोगुना कर दिया है। प्रदेश में पहली बार विकास योजनाओं की किरण जन-जन तक पहुंच रही है। पिछली सरकार के मुकाबले मोदी सरकार ने उप्र को दोगुनी सहायता राशि दी। जबकि लंबे समय तक केंद्र की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने उप्र के विकास को हाशिये पर रखा। आंकड़े खुद इसकी तस्दीक करते हैं।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार ने उप्र के विकास के लिए महज 17 हजार करोड़ की सहायता राशि दी थी। इस दौरान राज्य में सपा सरकार थी। केंद्र की सत्ता संभालते ही मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में उप्र के विकास के लिए 32 हजार करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की। सपा सरकार इस बड़ी धनराशि का इस्तेमाल विकास को गति देने में नहीं कर सकी। केंद्रीय सहायता से विकास तेज करने के बजाय तत्कालीन सपा सरकार ने न सिर्फ केंद्र सरकार की योजनाओं पर अपने नाम लिखवाकर जनता के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश की बल्कि कई बड़ी योजनाओं का विरोध कर प्रदेश में लागू करने में रोड़ा अटकाया। उससे प्रदेश के लोग कई योजनाओं का लाभ पाने से वंचित रह गए।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद वित्तीय वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता राशि का आंकड़ा 40 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया। योगी सरकार ने केंद्रीय अनुदान की पाई-पाई का इस्तेमाल उप्र के विकास के लिए किया।
केंद्र की मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को 2017-18 से 31 अगस्त, 2021 तक कुल 201584 करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान राशि दी है। इसकी तुलना में 2012-13 से 2016-17 तक पिछली सरकार के दौरान कुल 136832.63 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता के तौर पर उप्र को मिले।
दरअसल, कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए केंद्र सरकार ने 2012-13 में 17337.78 करोड़ रुपये और 2013-14 में करीब 22405.16 करोड़ केंद्रीय सहायता के रूप में उप्र को जारी किए। केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2014-15 में 32691.47 करोड़ रुपये, 2015-16 में 31861.33 करोड़ रुपये और 2016-17 में 32536.86 रुपये उप्र को केंद्रीय अनुदान के रूप में मिले।
प्रवक्ता के अनुसार उत्तर प्रदेश में विकास ने रफ्तार तभी पकड़ी जब केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने एक साथ मिल कर काम करना शुरू किया। राज्य सरकार को केंद्र सरकार के समर्थन के साथ भरपूर लाभांश भी मिला। केंद्र ने विकास के लिए 2017-18 में 40648.44 करोड़ रुपये, 2018-19 में 42988.48 करोड़ रुपये, 44043.96 करोड़ रुपये, 2020-21 में 57487.59 करोड़ रुपये और 2021-22 में 31 अगस्त तक 16415.61 करोड़ रुपये की धनराशि उप्र में भेजी।
उन्होंने बताया कि ‘डबल इंजन’ सरकार के फायदे तब सामने आए जब राज्य में योगी सरकार बनी। राज्य और केंद्र के तालमेल के अभाव में वर्षों तक विकास से वंचित उप्र को पहली बार किसी केंद्र सरकार का पूरा समर्थन मिला। केंद्र और राज्य सरकार के एकजुट प्रयास ने साढ़े चार साल में प्रदेश की सूरत बदल दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने अलीगढ़ दौरे में बार-बार ‘डबल इंजन’ सरकार से जनता मिल रहे फायदे की चर्चा की थी। डबल इंजन सरकार का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश लगभग 90 प्रतिशत केंद्रीय योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में शीर्ष स्थान पर है।
वित्तीय वर्ष 2012-2013 से 2016-2017 तक की अवधि में केन्द्र से प्राप्त सहायता अनुदानः
वित्तीय वर्ष प्राप्त – धनराशि (करोड़ों में )
1. 2012-2013- 17337.7888
2. 2013-2014 – 22405.1699
3. 2014-2015- 32691.4761
4. 2015-2016 – 31861.3352
5. 2016-2017 – 32536.8658
योग – 136832.6358
वित्तीय वर्ष 2017-2018 से 2020-2021 तक की अवधि में केन्द्र से प्राप्त सहायता अनुदानः
( ₹ करोड़ में)
वित्तीय वर्ष- प्राप्त धनराशि
1. 2017-2018- 40648.4491
2. 2018-2019- 42988.4858
3. 2019-2020- 44043.9686
4. 2020 -2021 57487.5900
5. 2021-2022 (31.08.2021 तक 16415.6189
योग- 201584.1124