हर उम्र के व्यक्ति को प्रभावित करता है रूमेटॉयड आर्थराइटिस !

कई लोगों को ऐसा लगता है कि आर्थराइटिस बुजुर्गों की बीमारी है। जिसकी वजह से उनके जोड़ों में दर्द और तकलीफ महसूस होती है। लेकिन आर्थराइटिस के अत्यधिक लक्षणों के साथ यह बुजुर्गों की तुलना में युवाओं को अधिक तकलीफ देता है। मूल रूप से ऑस्यिोआर्थराइटिस आर्थराइटिस का ही एक रूप है, जो कि उम्र बढने पर अधिक पाई जाती है, लेकिन रूमेटॉयड आर्थराइटिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर के वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. अखिलेश यादव ने  बताया कि सच तो यह है कि आर्थराइटिस से पीडित युवाओं की संख्या में अचानक ही काफी तेजी आ गई है। खासकर एक्जीक्यूटिव और दफ्तर जाने वाले लोगों में। इन दिनों युवाओं को रूमेटॉयड आर्थराइटिस होने का खतरा पहले के मुकाबले कहीं अधिक बढ़ गया है। वे अक्सर जोड़ों में दर्द, सूजन या कड़ेपन की शिकायत जोड़ों जैसे टखनों, तलुओं, हाथों आदि में करते हैं। इसके होने के कारणों में अंतर पाया जा सकता है। व्यायाम में दिलचस्पी न लेना, खाने का अस्वस्थकर तरीका या असक्रिय जीवनशैली, आदि। 

रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जहां आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक सक्रिय हो जाती है और आपके शरीर के अंदरूनी जोड़ों पर हमला करने लगती है। यह आपको किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल है, जोड़ों में सूजन, सुबह उठने पर उनमें कड़ापन, दर्द जो खत्म नहीं होता- यह कई हफ्तों तक बना रहता है। हालांकि, इससे इस बीमारी से लडने के कई तरीके हैं, जांच के बाद लोग इस बात से निराश हो जाते हैं, उन्हें लगता है कि उनकी यह क्रॉनिक स्थिति उनसे सक्रिय रहने की क्षमता छीन लेगी।
डॉ. अखिलेश यादव का कहना है कि ज्यादतार युवा जिनका अधिकांश समय कार या ऑफिस के अंदर बीतता है, उन्हें सुबह के समय थोड़ी देर धूप में जरूर बिताना चाहिए। साथ ही उन्हें सेहतमंद जीवनशैली जीने पर जोर देना चाहिए, जैसे नियमित रूप से जिम जाना, उछल-कूद वाले खेलों में हिस्सा लेना, जॉगिंग, स्वीमिंग, टेनिस खेलना आदि। इससे जोड़ों के आस-पास की मांसपेशियां मजबूत रहती हैं। हॉबी आधारित गतिविधियां जैसे डांसिंग, एरोबिक्स, योगा, पाइलेट्स और टहलना आदि। 
डॉ. अखिलेश यादव के अनुसार यदि किसी को बचपन में मिरगी की समस्या रही हो तो उनके शरीर में कैल्शियम का अवशोषण होने में परेशानी होती है, इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। यदि आपके पैरों में एक हफ्ते से अधिक जोड़ों में दर्द या कड़ापन हो तो देर न करें तो तुरंत ही रूमेटोलॉजिस्ट से सलाह लें, ।

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