· खराब जीवनशैली के कारण युवाआबादी हृदय रोगों की अधिक शिकारहो रही है
· नियमित रूप से निवारक स्वास्थ्यजांच कराने से जटिल हृदय रोगों काप्रकोप हो सकता है कम
बदलती जीवन शैली और खराबसामाजिक
आर्थिक कारकों के कारण इस्केमिक हृदय रोग सेपीड़ित रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है!एक्यूटकोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) या जिसे आमतौर पर हार्ट अटैकके रूप में जाना जाता है, भारत जैसे विकासशील देशों मेंप्रमुख घातक बीमारी में से एक है। विशेष रूप से 40-50 वर्षके आयु वर्ग में 20 प्रतिषत से अधिक आबादी में कई प्रकारकी हृदय संबंधी बीमारियां हो रही हैं जिसके कारण अंततःहार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है।
इस तरह की बीमारियों का समय पर इलाज कराने के महत्वऔर इन्हें रोकने के तरीकों पर जागरूकता फैलाने के लिए, उत्तर भारत में हृदय रोगों के लिए अग्रणी सेवा प्रदाता, फोर्टिसएस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट (एफईएचई), ओखला ने सैफायरअस्पताल के साथ मिलकर ऐसे विभिन्न मामलों को प्रस्तुतकरके एक जन जागरूकता और बातचीत सत्र का आयोजनकिया जिनका सफल इलाज किया गया।
संवाददाता सम्मेलन को फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट एंडरिसर्च सेंटर, नई दिल्ली के कार्डियोवास्कुलर सर्जरी विभाग केनिदेषक डॉ. रामजी मेहरोत्रा और सैफायर अस्पताल केनिदेषक डॉ. सुमित अग्रवाल ने संबोधित किया। इस दौरानरोगियों ने अपने अनुभव साझा किया।
उन्होंने एक ऐसा मामला पेश किया, जिसमें हृदय रोग के कारण हृदय का कार्य 75% तक कम हो गया था, जो अनुपचारित था, हालांकि रोगी पिछले 7 महीने से पीड़ित था। डॉ। सुमित अग्रवाल के अच्छे प्रयासों के कारण उनकी हृदय की स्थिति का निदान किया गया और उनकी तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण बाईपास सर्जरी डॉ। रामजी मेहरोत्रा द्वारा फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला, नई दिल्ली में की गई।
डॉ। रामजी मेहरोत्रा ने कहा “मरीज के हृदय कार्य में अब लगभग सामान्य स्तर तक सुधार हुआ है। यह डॉक्टरों के अच्छे टीम प्रयासों को दर्शाता है। ”
इसी तरह के मामलों का इलाज किया गया है जहां रोगी डुअलहार्ट अटैक (एक साथ डबल वेसल एक्यूट मायोकार्डियलइंफार्कषन) से पीड़ित थे।
डॉ. सुमित अग्रवाल ने कहा, ‘‘डुअल इंफार्कषन के मामलेअत्यंत दुर्लभ होते हैं और इसके नैदानिक परिणाम आम तौरपर बहुत खराब होते हैं क्योंकि इस स्थिति का प्रबंधनअत्यधिक चुनौतीपूर्ण होता है और इसमें समय का काफीमहत्व होता है। ऐसा ही एक मामला श्री अशोक मित्तल का थाजो कई वर्षों से धूम्रपान कर रहे थे, और उन्हें डुअल हार्टअटैक हो गया, लेकिन उनका समय पर इलाज किया गयाऔर वे पूरी तरह से ठीक हो गए।”
डॉ. रामजी मेहरोत्रा ने कहा,”लोगों में इस बात को लेकरगलत धारणा है कि दिल की बीमारियां और हार्ट फेल्योरकेवल वृद्ध आबादी को प्रभावित करते हैं और ये मेट्रो शहरोंतक ही सीमित हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये बीमारियांयुवा, मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग आबादी में दिल केकामकाज को समान रूप से प्रभावित करती हैं। आधुनिकजीवन के बढ़ते तनाव ने कम उम्र के लोगों में भी हृदय रोगों केजोखिम को बढ़ा दिया है। हालांकि किसी व्यक्ति कीआनुवांशिक प्रवृत्ति और पारिवारिक इतिहास अब भी सबसेआम और अनियंत्रित जोखिम कारक बने हुए हैं, लेकिन युवापीढ़ी में अधिकांष मामलों में हृदय रोग अत्यधिक तनाव औरलंबे समय तक काम करने के कारण अनियमित नींद के पैटर्नके कारण होते हैं, जो इंफ्लामेषन पैदा करते हैं और हृदय रोगके जोखिम को बढ़ाते हैं। धूम्रपान और निश्क्रिय जीवन शैली20 से 30 वर्ष की आयु के लोगों में जोखिम के लक्षणों कोऔर बढ़ाती है। इसलिए नियमित अंतराल पर समय परनिवारक स्वास्थ्य जांच कराना अत्यंत आवष्यक है।“
इस बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने से कई लोगोंकी जान बच सकती है। कार्डियक विज्ञान के क्षेत्र में प्रगतिअंतिम चरण वाले हृदय की समस्या से पीड़ित रोगियों के लिएएक वरदान रही है। हार्ट फेल्योर को रोकने का एकमात्र औरसबसे आसान तरीका मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप कोबढ़ावा देने वाली जीवन शैली और भोजन की आदतों सेबचना है सैफायर हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. एस सी अग्रवाल ने बताया