देश भर में CAA कानून को लेकर विरोध- प्रदर्शन किया जा रहा है. 20 दिसम्बर को मुज़फ्फरनगर में जुमे की नमाज के बाद विरोध-प्रदेशन किया गया. इस दौरान भीड़ उग्र हो गयी, जिसके चलते जिला प्रशासन ने लाठीचार्ज किया. पुलिस ने हिंसा भड़कने के बाद 70 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक, मदरसे के छात्रों ने बताया कि पुलिस ने कथित तौर पर एक कॉम्प्लेक्स में घुसा दिया. इसके अलावा हमें लाठियों से पीटा और “जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया गया, आंतकवादी तक बोलने का पुलिस पर आरोप लगाया.
मौलाना असद रज़ा 68 साल जो मदरसा चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि” मैं जिन पुलिसकर्मियों के साथ था, उन्होंने मेरी पिटाई की. उन्होंने कुछ नहीं कहा सिर्फ मुझे बहुत ज्यादा मार रहे थे. मैं गिर गया और कोई दूसरा व्यक्ति मेरे ऊपर गिर गया. मैंने कुछ नहीं सोचा, लेकिन मैं जिंदा बच गया, अल्लाह ने मुझे बचा लिया. मैंने इस तरह का दृश्य पहले कभी भी नहीं देखा. न तो मुज़फ्फरनगर 2013 दंगे के दौरान देखा था. मौलाना ने बताया कि मेरा बाएं हाथ टूट गया और दोनों टांगों पर पट्टी बंधी हुई हैं.
वहीं, जिला मुज़फ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव ने ‘”जय श्री राम” के नारे छात्रों से लगवाए जाने वाले आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह के सवाल न उठाएं जाए. जो प्रदर्शनकरी मदरसे में घुस गए थे उन पर ही लाठीचार्ज की गई, लेकिन बाद में कोई कार्रवाई नहीं हुई, अफवाह फैलाई जा रही है.
एसएसपी यादव ने बताया कि 20 दिसम्बर हिंसा के दिन काफ़ी प्रदर्शनकारी मदरसे में घुस गए. हमनें 75 लोगों को नज़रबन्द किया, जिसमें से 28 लोगों को उसी दिन छोड़ दिया गया. कल 10 और प्रदर्शनकारियों को ज़मानत की मंजूरी मिल गई, जिनके खिलाफ कोई तोड़- फोड़ का मामला दर्ज नहीं किया गया.