

मुज़फ्फरनगर। पुलिस ने सीसीए कानून 2019 को लेकर भड़की हिंसा में लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे. एक महीने से भी कम समय के भीतर जिले की पुलिस – प्रशासन ने 107 लोगों को हिंसा भड़काने और हत्या प्रयास के मामले में आरोपी बनाया था. इससे पहले ही पुलिस ने सबूत न मिलने के अभाव में 19 लोगों जमानत पर को रिहा कर दिया गया.इसके अलावा जिला डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सभी आरोपियों से मुकदमे वापस लें लिए हैं.
जुमे की नमाज के बाद 20 दिसम्बर 2019 को हिंसा भड़क गई,जिसके बाद पुलिस को भीड़ को पर लाठीचार्ज करनी पड़ी. जिले में हिंसक घटना के बाद पुलिस अलर्ट हो गई. शहर के मुख्य चौराहे पर ड्रोन कैमरे से नज़र रखी जा रही है. पुलिस असामाजिक तत्वों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाल रही हैं.
इसी के साथ ही 10 और अन्य आरोपियों को पुलिस द्वारा शुरुआती जांच में आरोपी बनाया था. हिंसा का आरोपी शालीन जो कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में होटल मैनेजमेंट कोर्स का छात्र हैं. शालीन के पिता मोहम्मद फारूक को भी भड़की हिंसा के दौरान आरोपी बनाया गया.
इन आरोपियों को पहले ही पुलिस- प्रशासन ने कोई सबूत न मिलने पर सीआरपीसी सेक्शन 169 के तहत रिहा कर दिया गया. वहीं दूसरी ओर मंगलवार को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उम्मेद, शौकीन, सलमान और इसरार चारों आरोपियों की जमानत मंजूर कर लीं. वहीं दूसरी ओर मुज़फ्फरनगर सांसद डॉ संजीव बालियान ने CAA कानून समर्थन रैली में कहा था कि “निर्दोष लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कि जाएंगी, जिन लोगों ने हिंसा भड़काई उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होंगी.
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