आरबीआई-RBI ने डॉलर-रुपये विनिमय की अपनी तरह की पहली नीलामी के तहत मंगलवार को सिस्टम में तकरीबन 35 हजार करोड़ रुपये डाले है और रिजर्व बैंक – Reserve Bank ने नकदी तरलता बढ़ाने के लिए 5 अरब डॉलर की राशि बैंकों से लेने का लक्ष्य रखा था, जो आसानी से पूरा हो गया और इस प्रक्रिया से बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में भी अच्छा खासा विस्तार होगा।
केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को बताया कि डॉलर-रुपये विनिमय की नीलामी प्रक्रिया काफी सफल रही है और इसके तहत बैंकों से तीन साल की अवधि के लिए 5 अरब डॉलर भी लिए गए हैं और बदले में बैंकों को 34,561 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, नीलामी प्रक्रिया के दौरान आरबीआई- RBI को निर्धारित लक्ष्य (target) से तीन गुना बोली मिली और कुल 16.31 अरब डॉलर विनिमय के लिए पेश किए गए!
यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव का यह कहना है, कि यह तरीका कारगर साबित होने से आरबीआई – RBI आगे भी इस रणनीति को अपना सकता है और आरबीआई का यह कदम बैंकों को विदेशी मुद्रा जमा करने के लिए प्रोत्साहित भी करेगा, जिससे विदेशी निवेश बढ़ाने में भी अच्छी मदद मिलेगी।
आरबीआई – RBI ने बैंकों से तीन साल के लिए डॉलर लिया है जिस पर प्रीमियम दर बाजार की अपेक्षा 35 पैसे कम रखी है और जो कि बैंकरों की उम्मीद से ज्यादा ही रही है, इस नीलामी के लिए आरबीआई – RBI ने अपनी कटऑफ दर 7.76 रुपये रखी थी जबकि बैंकर का कहना है कि यह बोली निजी और विदेशी बैंकों के ज्यादा मुफीद रही और सरकारी बैंकों को और अधिक छूट मिलने की आशंका थी, जिससे बस वे कुछ निराश हुए।
एचएसबीसी-HSBC इंडिया के वैश्विक बैंकिंग हेड हितेंद्र देव ने भी यह बताया कि इस बोली प्रक्रिया में सबसे ज्यादा लाभ निजी बैंकों को होगा उनकी अनुमानित कटऑफ आरबीआई-RBI के करीब थी और जिससे वे डॉलर के बदले रुपये लेने की ज्यादा सहज स्थिति में रहे और इससे उनकी कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और बाजार में तेजी आएगी
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास की नियुक्ति से संबंधित जानकारी साझा करने से इनकार किया है और सरकार ने पारदर्शिता कानून का हवाला देते हुए इस जानकारी को सार्वजनिक करने से मना कर दिया है बता दें पारदर्शिता कानून मंत्रियों की समिति, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श की जानकारी साझा करने की अनुमति नहीं देता है
सरकार ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) RTI के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में चुने गए उम्मीदवारों के नाम समेत नियुक्ति प्रक्रिया की कोई भी जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है दास की नियुक्ति 11 दिसंबर 2018 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति द्वारा तीन साल के लिए की गई थी
आरबीआई RBI और सरकार के बीच केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और प्रशासन को लेकर हुए विवाद के बीच पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद से गवर्नर के पद पर दास को नियुक्त किया हुआ था आरटीआई RTI दायर कर एक अख़बार के संवाददाता ने वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) DFS से गवर्नर की नियुक्ति के लिए इस्तेमाल किए गए विज्ञापन की कॉपी से जुड़ी जानकारी के साथ, सभी आवेदकों और चुने गए उम्मीदवारों के नाम की जानकारी की मांगी थी