जम्मू कश्मीर। पूर्व डीजीपी देवेंद्र सिंह की जांच एनआई एजेंसी को सौंप दी गई है. आए दिन देवेंद्र सिंह को लेकर नए खुलासे किए जा रहे है. इसी के साथ ही कश्मीरी पंडितों के साथ बर्बता को लेकर एक पत्र सामने आया है,जिस पत्र में कश्मीरी पंडितों की कब्जा करने का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं, तमाम विपक्ष पार्टियां मोदी सरकार से देवेंद्र सिंह को लेकर हमला बोल रही है. हाल ही में डीजीपी को पुलिस ने दो आतंवादियों के साथ गिरफ्तार किया.
बताया गया है कि ये आतंकी गणतंत्र दिवस के मौके पर हमला करने की फिराक में थे. इतना ही नहीं कथित तौर पर डीजीपी देवेंद्र सिंह को 2001 पार्लियामेंट अटैक से जोड़कर भी देखा रहा है. कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिकू सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर डीजीपी देवेंद्र के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की मांग की. संजय टिकू ने पत्र में आरोप लगाया है कि जम्मू कश्मीर में मंदिरों पर अवैध कब्जा किया गया, इस कार्य में कुछ और लोग शामिल है.


उल्लेखनीय है कि संजय टिकू ने मोदी सरकार और सीबीआई व NIA एंजेसी से शिकायत की थी, लेकिन डीजीपी देवेंद्र के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई. साल 2018 में दविन्द्र सिंह को राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा गया था.
संजय टिकू सिंह बोलें कि”मैं यहां एक बहुत ही दिलचस्प रिपोर्ट जोड़ना चाहूंगा। अभी हाल ही में DNA के रिपोर्टर लेशान वानी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिकू सिंह ने आतंकियों के मददगार डीएसपी देविन्द्र सिंह पर आरोप लगाया था कि वह कशमीरी पंडितों की जमीन और मंदिर पर अवैध कब्जा कर रहे हैं जिसमें दविन्द्र सिंह के साथ कुछ और लोग भी शामिल हैं.
कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़े 30 साल गुज़र चुके हैं. यह अरसा काफी होता है, 30 साल बाद भी कश्मीरी पंडितों की अब तक घर वापसी नहीं हुई. इसके दोषी सभी राजनीतिक दल है। कांग्रेस के साथ-साथ अगर 30 सालों में सरकारों की बात करें तो बीजेपी इस दौरान 11 साल (5साल वाजपाई सरकार+6साल मोदी सरकार) सरकार में रह चुकी है लेकिन अब तक उनके घर वापसी के बारे न तो कोई ठोस बात हुई और न ही सरकार की ऐसी मंशा अब तक दिखी हो।
1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वह जुल्म की इंतहा थी लेकिन 2019 में उनका जिस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है वह भी खतरनाक है। जहां तक मेरी समझ है मोदी सरकार ने पिछले कुछ सालों में कश्मीरी पंडितों का इस्तेमाल सिर्फ एक राजनीतिक मोहरे के रूप में किया है…आप Mob lynching के खिलाफ आवाज उठाएं तो सरकार और उनके समर्थक कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार आगे कर देती है…आप सरकार के किसी पॉलिसी पर सवाल करें तो वहीं सेम पैटर्न। कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने का काम सरकार का है और आप इस पर सवाल करें तो कोई जवाब देने को तैयार नहीं।