विपक्ष के भारी हंगामे के बीच तीन तलाक़ बिल आखिरकार राज्यसभा में भी पास हो गया। बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े तो वहीं 84 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया।
तीन तलाक़ बिल के बहाने भले ही बीजेपी राजनीति कर रही है लेकिन देखा जाए तो तीन तलाक़ बिल हमारे रहनुमाओं की गलतियों का नतीजा है। क्योंकि इससे पहले इस्लाम के जानकारों को यह बताना ज़रूरी नहीं समझा कि एक बार में तीन तलाक़(Instant Tripple Talaq) जैसी कोई बात शरिया कानून में है ही नहीं।
कुरान में तीन तलाक़ का जिक्र है, जिसमें यह कहा गया है कि तीन तलाक़ में हर तलाक़ के बीच एक निश्चित समयावधि का अंतराल रहे, ताकि इस दौरान अगर मियां-बीवी के बीच सुलह की गुंजाइश बने तो वह सुलह कर ले। कुरान के दुसरे पारा के सुरह नंबर 228, 229, 230 ने तीन तलाक़ तफ्सील से बयां करता है।
यहां तक कि पैगम्बर मोहम्मद ने भी कहा है कि अगर कोई शख्स अपनी बीवी को एक बार में तीन तलाक़ (Instant Tripple Talaq) देता है तो उसको एक बार ही गिना जाएगा यानि कि उस शख्स को एक समयांतराल में दो और तलाक़ से गुजरना होगा।
यूं तो इस बिल को केंद्र में बैठी भाजपा सरकार मुस्लिम महिलाओं के इंसाफ के रूप में देख रही है। लेकिन यह बिल उससे ज्यादा शरिया कानून को संरक्षण देगा। जिसका लोग अब तक दुरूपयोग कर रहे थे। बस शर्त इतना है कि इस बिल का उपयोग गलत मंशा के लिए न हो।