देहरादून, राजधानी के राजनीतिक गलियारों में “ब्रो” नाम की चर्चा सुनी जा सकती है,
ये कौन है? कहाँ से मुख्यमंत्री तीरथ रावत के बराबर में आकर बैठ गया और मिनी मुख्यमंत्री बन गया? पूरी सरकार शासन प्रशासन इसके इशारे पर नाचने लगा है, कोई पद नही कोई वेतन नही फिर क्यों “ब्रो” इतनी बड़ी हैसियत वाला बन गया?
“ब्रो” के बारे में पड़ताल की गई तो पता चला कि बीजेपी हो या कांग्रेस की सरकारें ये अचानक सीएम हाउस में एंट्री लेता है और वहां सीएम के इर्दगिर्द अपना कब्जा जमा लेता है,कहा जाता है कि पौड़ी गैंग का मुखिया है ,पौड़ी गैंग में कुछ पत्रकार कुछ ओपीनियन मेकर टाइप लोग, कुछ खनन माफिया और कुछ दिल्ली में बैठे पत्रकार भी है जोकि मुख्यमंत्री निवास पर कई सालों से सक्रिय है और अपने काम निकलवाते रहते है।
ब्रो सबसे पहले खंडूरी शासन काल मे नजर आया उसके बाद वो निशंक काल मे कुछ समय के लिए आया फिर खंडूरी शासन आया तो दो महीने में ही इन्हें वहां से चलता कर दिया, “ब्रो” दिल्ली आगये, सरकार बदली और ये बहुगुणा के करीबी हो गए, दिल्ली में बहुगुणा के पक्षमे लॉबिंग करने के लिए ये दिल्ली में मीडिया को खुश करने का काम देखते रहे, हरीश रावत सरकार में इनकी दाल नही गली, त्रिवेन्द्र रावत ने अपनी टीम खड़ी की, लेकिन देहरादून आकर ये मंत्रियों के साथ सेटिंग में लग गए। अचानक तीरथ रावत की सरकार आयी इनकी पौ बारह होगयी। पौड़ी गैंग फिर सक्रिय हो गया। मुख्यमंत्री के करीबी होने का सबको एहसास दिलाने में चतुर “ब्रो” के इशारे पर ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर हर फैसले में दखल होता है, नौकरशाह इनके इशारो पर सलाम बजाते है, कहते है जब कोई किसी के सज्जन सरल होने का फायदा उठाने लगे तो उस पर सवाल उठने भी लाजमी है।
अब ” ब्रो” की हैसियत कब कम होने लगी जब वहां संघ से संस्तुति लिए सलाहकार आने लगे, “ब्रो” ने अपने पौड़ी गैंग का इस्तेमाल कर इन सलाहकारो की नियुक्ति पर सवाल उठाने के टिप्स दिए। सबसे पहले मीडिया सलाहकार निशाने पर आए फिर निशाने पर मुख्य सलाहकार आये ।साथ ही ये माहौल बनाया गया कि नौकरशाही इन नियुक्तियों से नाराज है।जबकि इस खेल के खिलाड़ी” ब्रो” अपना हित साधने में लगे थे, इस खेल में “ब्रो” ने अपनी गैंग को खुश करने के लिए धन दारू का भी इस्तेमाल किया, सीधा सरल सवाल ये है कि “ब्रो” बिना पोस्ट के बिना वेतन के किस हैसियत से सीएम के कार्यालय से आदेश जारी करता है? आखिर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस पर किसके कहने से विश्वास कर रहे है? क्या इसकी एंट्री किसी के कहने पर हुई है? ये तो सीएम ही जाने लेकिन देहरादून में इस वक्त सबसे ज्यादा हैसियत वाला शख्स ब्रो बन गया है। हो सकता है मुख्यमंत्री को इनकी हरकतों का पता ही न हो कि इसकी वजह से उनकी छवि से खिलवाड़ किया जा रहा है सर्व विदित है कि मुख्यमंत्री के पदभार ग्रहण करने से लेकर अभी तक उनकी छवि में कोई वृद्धि तो नही अलबत्ता कमी जरूर आयी है।बात ये भी नही भूलने की है कि ये चुनावी वर्ष है कोई ज्यादा समय भी नही रह गया है और मुख्यमंत्री अपनी की किचन कैबिनेट को मजबूत इस लिए नही कर पाए है क्योंकि “ब्रो” ये होने नही देना चाहता। केवल पौड़ी गैंग के हित साधे जा रहे है और ये वो गैंग है जोकि अपने काम न होने पर मुख्यमंत्री को छवि को मटियामेट करने में कोई कसर नही छोड़ता,यही वजह है कि पौड़ी से आया कोई भी सीएम दो ढाई साल में ही अपना बोरिया बिस्तर समेट लेता है।
बरहाल देहरादून में “ब्रो” की
हरकतों की चर्चा जोरों पर है
यह लेख स्वतंत्र पत्रकार आशीष कुमार ने लिखा है